रिपोर्ट में खुलासा, क्लास 1 के सिर्फ 41 फीसदी बच्चे ही पहचान पाते हैं 2 अंकों की संख्या

रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा 1 में 41.1 फीसदी बच्चे 2 अंकों की संख्या को पहचान सकते हैं, जबकि कक्षा 3 में 72.2 फीसदी बच्चे ऐसा सकते हैं.

रिपोर्ट में खुलासा, क्लास 1 के सिर्फ 41 फीसदी बच्चे ही पहचान पाते हैं 2 अंकों की संख्या

4 से 5 वर्ष में बच्चों में सभी कार्यों को करने की क्षमता में वृद्धि होती है.

खास बातें

  • क्लास 1 के सिर्फ 41.1 फीसदी बच्चे ही 2 अंकों की संख्या पहचान पाते हैं.
  • कक्षा 3 में 72.2 फीसदी बच्चे ऐसा सकते हैं.
  • ये खुलासा असर 2019 की रिपोर्ट में हुआ है.
नई दिल्ली:

देश में बच्चों की शिक्षा की दशा-दिशा का जायज़ा लेने वाली वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 'असर 2019' जारी कर दी गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा 1 में 41.1 फीसदी बच्चे 2 अंकों की संख्या को पहचान सकते हैं, जबकि कक्षा 3 में 72.2 फीसदी बच्चे ऐसा सकते हैं. लेकिन NCERT के सीखने के परिणामों के विनिर्देश के मुताबिक कक्षा 1 के बच्चों को 99 तक संख्याएं पहचानने में सक्षम होना चाहिए.  बाल विकास विशेषज्ञ और अनुसंधान यह बताते हैं कि 4 से 5 वर्ष में बच्चों में सभी कार्यों को करने की क्षमता में वृद्धि होती है.

असर 2019 के आंकडें भी इस बात की पुष्टि करते हैं. उदाहरण के लिए, सरकारी पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं (आंगनवाडी या सरकारी स्कूल में पूर्व प्राथमिक कक्षा) में जाने वाले 4 वर्ष के 31 फीसदी बच्चे और 5 वर्ष के 45 फीसदी बच्चे एक 4 टुकड़ों का पजल सही बना पाते हैं. RTE Act 2009 के अनुसार बच्चों को 6 वर्ष की आयु में कक्षा 1 में प्रवेश लेना चाहिए.

लेकिन देश में कई राज्य 5+ वर्ष की आयु में भी बच्चों को कक्षा 1 में नामांकन की अनुमति देते हैं. कक्षा 1 में हर 10 बच्चों में से 4 बच्चे 5 वर्ष से छोटे या 6 वर्ष से अधिक आयु के हैं. कुल मिलाकर, कक्षा 1 में 41.7 फीसदी बच्चे 6 वर्ष की RTE Act निर्धारित आयु के हैं, 36.4 फीसदी 7 या 8 वर्ष के हैं और 21.9 फीसदी 4 या 5 वर्ष के हैं.
 


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