बैसाखी पर मीलों का सफर तय कर साजन ने यूं पास की NEET परीक्षा, अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन

साजन राय (Sajan Rai) ने कठिन परिस्थितियों में नीट परीक्षा पास कर ये साबित किया है कि इंसान चाहे तो हर हाल में अपने सपनों को पूरा कर सकता है.

बैसाखी पर मीलों का सफर तय कर साजन ने यूं पास की NEET परीक्षा, अब सरकारी मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन

Sajan Rai को बिहार के बेतिया में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला है.

खास बातें

  • साजन राय ने हाल ही में नीट परीक्षा में सफलता हासिल की.
  • साजन बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं.
  • साजन को सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला है.
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) पास करने वाले साजन राय (Sajan Rai) ने बिहार के बेतिया में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लिया है. साजन राय दिव्यांग हैं लेकिन अपने बुलंद हौसलों के चलते उन्होंने नीट परीक्षा में सफलता हासिल कर ये दिखा दिया है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी खराब हो इंसान कड़ी महनत कर अपने सपनों को पूरा कर सकता है. अपने सपनों को साकार करने के लिए राय ने अपनी बैसाखी पर मीलों का सफर तय किया क्योंकि बचपन में उन्हें जो बीमारी हुई थी, उसके कारण वह अपने दम पर नहीं चल सकते. राय अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए बिहार के मधुबनी से एक साल पहले कोटा आए. वह हमेशा से ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों का इलाज करना चाहते थे ताकि उनके लिए स्वस्थ और बेहतर जीवन सुनिश्चित हो सके.

उन्होंने कहा कि "मेरे पिता लाल बहादुर राय एक फोटोकॉपी की दुकान चलाते हैं जबकि मेरी मां एक गृहिणी हैं. हमारी पूरी बचत मेरे इलाज में खर्च हो गई थी जिसके कारण अब मैं बैसाखी के सहारे चल पा रहा हूं.'' साजन कहते हैं कि उनके माता-पिता ने 10वीं के बाद उनका एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया क्योंकि परिवार के पास प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे. मैंने दसवीं कक्षा में 83 प्रतिशत और बारहवीं कक्षा में 63 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके बाद, मेरे पिता ने मेरे डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के लिए कोटा में एक मेडिकल कोचिंग संस्थान में एडमिशन करवाया. हमारे पास जो थोड़ी सी जमीन थी उसे हमे एडमिशन के लिए गिरवी रखना पड़ा था.

बता दें कि राय की खराब आर्थिक स्थिति के बारे में पता चलने पर मेडिकल कोचिंग संस्थान ने उनकी फीस माफ की थी. राय ने कहा, ''कई लोगों ने मेरे पिता से कहा कि मुझे मेरी शारीरिक स्थिति को देखते हुए कोटा न भेजें, लेकिन मेरे पिता ने मुझ पर विश्वास किया. राय अब डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की मदद करना चाहते हैं.'' राय का मानना ​​है कि शारीरिक रूप से विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि एक चुनौती है जिसका सामना दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए.

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