अब स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होंगी धार्मिक किताबें, 'यस सर' नहीं 'जय हिंद' बोलेंगे छात्र !

मेनका गांधी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कुछ ऐसे ही सुझाव दिए हैं. ऐसे सुझाव देने के पीछे उन्होंने धार्मिक सहनशीलता को कारण बताया. 

अब स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होंगी धार्मिक किताबें, 'यस सर' नहीं 'जय हिंद' बोलेंगे छात्र !

स्कूलों में धर्मों के प्रति जागरुकता और देशभक्ति को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से एक और सुझाव आया है. अब जल्द ही स्कूली पाठ्यक्रम में अन्य विषयों के साथ-साथ धार्मिक किताबें भी शामिल होने जा रही हैं. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को कुछ ऐसे ही सुझाव दिए हैं. ऐसे सुझाव देने के पीछे उन्होंने धार्मिक सहनशीलता को कारण बताया. 

भाषा की खबर के अनुसार मेनका ने हाल में हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक में यह सुझाव दिए. बता दें कि सीएबीई शिक्षा के क्षेत्र में निर्णय लेने वाली एक सर्वोच्च संस्था है. समय-समय पर इस संस्था द्वारा शिक्षा क्षेत्र में जरूरी बदलाव के लिए इस तरह की बैठकें आयोजित की जाती हैं. 
 


बैठक के एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, अलग- अलग धर्मों के छात्रों के बीच स्कूलों में धार्मिक सहनशीलता को बढ़ावा देने के लिए मेनका गांधी ने नैतिक शिक्षा की कक्षाएं आयोजित करने और सभी धर्मों की किताबें पढ़ाने के सुझाव दिए, ताकि सभी छात्र अन्य धर्मों को अहिमयत देना और उनका सम्मान करना शुरू करें.

सीएबीई की बैठक में मौजूद रहे ओड़िशा के शिक्षा मंत्री बद्री नारायण पात्रा ने पाठ्यक्रम में इस तरह सुधार करने का सुझाव दिया ताकि, धार्मिक सहनशीलता और देशभक्ति की भावना को मजबूती मिल सके.

इस बैठक के दौरान यह सुझाव भी दिए गए कि स्कूलों में मध्याह्न (मिड डे मील) भोजन में शाकाहारी भोजन दिया जाए. इसके अलावा कक्षा में हाजिरी के दौरान छात्रों को यस सर की बजाय जय हिंद कहने का निर्देश दिया जाए और एनसीईआरटी के सिलेबस को नई रूपरेखा दी जाए ताकि मूल्य एवं संस्कृति आधारित शिक्षा सुनिश्चित की जा सके.
 
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