नयी दिल्ली: 'बी ’ और ‘सी ’ श्रेणी के करार दिये गये मानद विश्वविद्यालयों के लिए उम्मीद की नयी किरण दिखाई दी है। उच्चतम न्यायालय ने आज इन विश्वविद्यालयों को यह आजादी दी कि वे अपना दर्जा बढ़वाने के लिये नए सिरे से राष्ट्रीय आकलन एवं मान्यीकरण परिषद ( National Assessment and Accreditation Council - एनएएसी ) के पास जा सकते हैं।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और शिवा कीर्ति सिंह की पीठ ने कहा कि वह इन विश्वविद्यालयों के मानकीकरण के संबंध में इनकी शिकायतों में नहीं पड़ेगा और उन्हें खुद नए सिरे से एनएएसी में जाना होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम एनएएसी को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले में 12 सप्ताह के भीतर मानद विश्वविद्यालयों की याचिकाओं का निपटारा करे ।’’ ए , बी और सी श्रेणी के संस्थानों को क्रमश: बहुत अच्छा, अच्छा और संतोषजनक माना जाता है और यूजीसी से इनकी संबद्धता मानद विवि के रूप में होती है। डी श्रेणी को असंतोषजनक माना जाता है और इसे मान्यता नहीं दी जाती।
एनएएसी ने शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए देशभर में 38 विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन किया है और 17 को ए, 20 को बी तथा एक को सी श्रेणी प्रदान की है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले से जुड़ी जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की।