Sri Aurobindo Birthday: कौन थे श्री अरविंद, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 5 बातें

15 अगस्त के दिन महान क्रांतिकारी और योगी श्री अरविंद (Sri Aurobindo) का जन्म हुआ था. 

Sri Aurobindo Birthday: कौन थे श्री अरविंद, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 5 बातें

Aurobindo Ghosh: श्री अरविंद का जन्म कलकत्ता में हुआ था.

खास बातें

  • श्री अरविंद का जन्म 15 अगस्त को हुआ था.
  • श्री अरविंद महान क्रांतिकारी और योगी थे.
  • श्री अरविन्द ने ‘वन्दे मातरम’ नाम के अखबार का प्रकाशन किया था.
नई दिल्ली:

आज पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा है. आज यानी 15 अगस्त (15 August) के दिन ही साल 1872 में महान क्रांतिकारी और योगी श्री अरविंद (Aurobindo Ghosh) का जन्म (Sri Aurobindo Birthday) हुआ था. श्री अरविंद का जन्म कलकत्ता में हुआ था. उन्हें गुजराती, मराठी, बंगला और संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान था. साल 1908 से 1909 तक अंग्रेज सरकार ने श्री अरविन्द (Sri Aurobindo) को बन्दी बना कर अलीपुर जेल में रखा. जेल में रहकर उन्होंने ध्यान, धारणा और योगाभ्यास को समय दिया. उन्होंने भारतीय दर्शन और वेदों का अध्ययन भी किया जिसके बाद वे योगी बन गए. श्री अरविंद (Sri Aurobindo) पत्रकार भी थे. उन्होंने अपने समाचार पत्र के माध्यम से तत्कालीन जनमानस को स्वाधीनता संग्राम के लिए तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी. श्री अरविंद के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ बाते बताने जा रहे हैं.

श्री अरविंद (Sri Aurobindo) के जीवन से जुड़ी बातें

1.  श्री अरविन्द का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता के एक समृद्ध डाक्टर श्री कृष्णधन घोष के यहां हुआ था. जब वे सात वर्ष के थे उन्हें शिक्षा के लिये अपने भाइयों के साथ इंग्लैण्ड भेज दिया गया.

2.  श्री अरविन्द (Sri Aurobindo) के पिता की इच्छा थी कि प्रशासनिक सेवा की प्रतियोगिता में भाग लें और भारत में आकर एक उच्च पद पर सरकार की सेवा करें. पिता की इंच्छा के लिए उन्होंने परीक्षा दी लेकिन उनकी इसमें रुचि नहीं थी. जिसके बाद वे जानबूझकर घुड़सवारी की परीक्षा देने नहीं गये. श्री अरविन्द ने बताया कि इस परीक्षा में सम्मलित न होने का कारण अंग्रेजों की नौकरी के प्रति घृणा की भावना थी. 

3.  श्री अरविन्द (Aurobindo Ghosh) ने ‘वन्दे मातरम’ नाम के अखबार का प्रकाशन किया था. ‘वन्दे मातरम’ में उनके संपादकीय लेखों ने उन्हें अखिल भारतीय ख्याति दिला दी. उस समय अंग्रेज कहते थे ‘‘वन्दे मातरम की एक-एक पंक्ति में राजद्रोह भरा है, लेकिन इस चालाकी से छिपाया गया है कि उस पर मुकदमा नहीं चल सकता.’’

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4. 1908 से 1909 तक श्री अरविन्द जेल में रहे. जेल में रहकर उन्होंने भारतीय दर्शन और वेदों का अध्ययन किया. जेल से बाहर आने के बाद वे कोलकाता छोड़कर पांडिचेरी रहने लगे. योगी बनने के बाद उन्होंने वहां आश्रम (Sri Aurobindo Ashram) स्थापित कर लिया.

5. श्री अरविंद (Sri Aurobindo) ने चालीस वर्ष तक पांडिचेरी में रहकर पृथ्वी पर दिव्य जीवन के लिये प्रसार किया, इस दृष्टि को चरितार्थ करने के लिये उन्होंने अथक परिश्रम किया.


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