पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, साबित किया इन महिलाओं ने

IGNOU के नागपुर क्षेत्रीय केंद्र में चल रहे शैक्षिक कार्यक्रमों में एक आदिवासी महिला सहित दो महिलाओं ने हिस्सा लिया और बड़ी उम्र के लिए परीक्षा पास करने के पहाड़ सरीखे लक्ष्य को हासिल करके मिसाल कायम कर दी.

पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, साबित किया इन महिलाओं ने

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की दो उम्रदराज महिलाओं को बेहद कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़ने पर विवश होना पड़ा लेकिन उन्होंने पढ़ाई करने का सपना नहीं छोड़ा और अब इन महिलाओं ने अपने मन में पल रहे ख्वाब को हकीकत की जमीन पर उतार दिया है. हाल ही में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के नागपुर क्षेत्रीय केंद्र में चल रहे शैक्षिक कार्यक्रमों में एक आदिवासी महिला सहित दो महिलाओं ने हिस्सा लिया और बड़ी उम्र के लिए परीक्षा पास करने के पहाड़ सरीखे लक्ष्य को हासिल करके मिसाल कायम कर दी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इग्नू ने इन महिलाओं को, उनके मजबूत इरादे और शैक्षिक उपलब्धि के लिए एक अन्य महिला के साथ ‘इंस्पीरेशनल एकेडेमिक एचीवमेंट' पुरस्कार से सम्मानित किया. नागपुर की रहने वाली आरती मुखर्जी(62) को 40 साल पहले स्नातक अंतिम वर्ष में अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. दशकों बाद, उन्होंने बीए हिंदी प्रोग्राम में हिस्सा लिया और अपना पाठ्यक्रम दिसम्बर 2018 में पूरा किया. पर उनके कदम यहीं तक नहीं रूके वे अब परास्नातक परीक्षा पास करने की योजना बना रही हैं.

गढ़चिरौली जिले के वाडसा गांव की आदिवासी महिला कमला धाकड़े(65) को कक्षा पांच के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी और अब 55 साल बाद उन्होंने एक बार फिर किताबें खोलीं और बैचलर प्रीपैरोट्री प्रोग्राम पाठ्यक्रम में शामिल हुईं और गत दिसम्बर को उनका ख्वाब मुकम्मल होकर हकीकत की जमीन पर उतर आया. इसके अलावा अमरावती की एक अन्य 44 साल की महिला मोनिका कासट(कोठारी) को भी सम्मानित किया गया.

(इनपुट-भाषा)

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