'सुबहे बनारस' के बाद शुरू हुआ 'शामे बनारस...घाट-संध्या'

'सुबहे बनारस' के बाद शुरू हुआ 'शामे बनारस...घाट-संध्या'

बनारस:

बनारस के दशाश्वमेघ घाट पर शाम की गंगा आरती तो दशकों से देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लोगों का मन मोह रही है. उसी तर्ज पर अस्सी घाट पर सुबहे-बनारस शुरू हुआ जो लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुका है. देश की सांस्कृतिक राजधानी में इसी को आगे बढ़ाते हुवे अब 'घाट-संध्या' का भी शुभारंभ हुआ है. यह घाट-संध्या अस्सी घाट के पास में रीवां घाट पर आयोजित की जाएगी. इस घाट-संध्या में ख़ास बात यह है कि इसमे शास्त्रीय नृत्य जैसे कत्थक, कुचिपुड़ी, उड़िसी जैसे नृत्यों की प्रस्तुति होगी. तीन दिन पहले शुरू हुए इस घाट संध्या में बड़ी बात यह है कि हर दिन यहां नये कलाकार, देश विदेश से आए लोगों को अपनी कला से रूबरू करायेंगे.
 

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इस कार्यक्रम की शुरूआत स्थानीय जिला प्रशासन ने इस मंसूबे के साथ की है कि वो घाट जो अभी तक अछूते थे और जहां गन्दगी रहा करती थी, उन्हें इसके जरिए साफ किया जाएगा. वहीं ऐसे कार्यक्रमो से नये कलाकारों को अपनी कला के लिये एक समृद्ध मंच मिलेगा. कार्यक्रम के संयोजक मुख्य विकास अधिकारी पुलकित खरे बताते है कि बनारस कला की राजधानी हैं, यहां के कण-कण में कला विद्यमान है. लिहाजा कलाकारों की कोई कमी नहीं है. सुबहे-बनारस में सुर की गंगा बहती है. तीन सौ दिन से ज़्यादा होने पर भी कोई कलाकार रीपीट नहीं हुआ है. उसी तर्ज पर घाट संध्या में हर दिन नये कलाकारों के जरिये लय और ताल की धारा बहेगी तो सही मायने में गंगा के किनारे सुर, लय और ताल का संगम होगा.

घाट संध्या के अलावा रीवां घाट पर कला वीथिका भी बनाई गई है. जहां कलाकार अपनी चित्रो की प्रदर्शनी भी लगा सकेंगे. रीवां घाट के एक तरफ अस्सी घाट है तो दूसरी तरफ तुलसी घाट. शाम के समय इन दोनों घाटों पर गंगा आरती होती है जो इस संध्या की भव्यता को अनुपम बना देती है.

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