प्रदूषण फैलाने पर दिल्ली सरकार ने उत्तरी नगर निगम पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना

निगम ने एफआईआर दर्ज कराई, कहा कि उसे बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी के ही लोगों ने कूड़े में आग लगाई और फिर फंसाने के लिए शिकायत कर दी

प्रदूषण फैलाने पर दिल्ली सरकार ने उत्तरी नगर निगम पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना

दिल्ली के किरारी इलाक़े में रोक के बावजूद धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जा रहा है.

नई दिल्ली:

दिल्ली में ठंड की शुरुआत भी नहीं हुई है कि राजधानी में प्रदूषण ने अपने पैर पसार लिए हैं. यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने खुले में कूड़ा जलाने के लिए बीजेपी शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया है. पर सवाल ये है कि उल्लंघन करने वाले क्या वाकई ये जुर्माना भरेंगे? दिल्ली के किरारी इलाक़े में रोक के बावजूद धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जा रहा है. यह इलाका बीजेपी शासित उत्तरी दिल्ली के अंतर्गत आता है. आप आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए निगम पर एक करोड़ का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है.

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा का कहना है कि ''ये एक करोड़ भी कम जुर्माना है. ये आपराधिक काम किया है. हम ये वसूलेंगे चाहे हमें एकाउंट क्यों न अटैच करना पड़े.'' कड़ा संदेश देने के लिए हर हाल में एक करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल करने की बात कर रही दिल्ली सरकार पर उत्तरी नगर निगम ने उल्टा ही आरोप लगा दिया है. निगम ने कहा है कि उसे बदनाम करने के लिए आम आदमी पार्टी के ही लोगों ने कूड़े में आग लगाई और फिर फंसाने के लिए शिकायत कर दी. उत्तरी नगर निगम के मेयर जय प्रकाश ने कहा कि ''हमने उनके खिलाफ़ FIR की है. आप का विधायक हमें बदनाम कर रहा है.''

यानी अब पुलिस कचहरी के चक्कर लगेंगे, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप होंगे, पर ये जुर्माना वसूला नहीं जा पाएगा. अगर इस एक करोड़ को जोड़ लें तो इस साल अब तक एक करोड़ 20 लाख का जुर्माना लग चुका है. 

वहीं दूसरी तरफ़ पंजाब के कई इलाकों में जमकर पराली जलाई जा रही है. मोहाली और अमृतसर में पराली जलाई जा रही है. यही वजह है कि दिल्ली में सिर्फ़ 24 घंटों में प्रदूषण में पराली का योगदान 6% से बढ़कर 19% हो गया है.

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सवाल यही है कि हर साल प्रदूषण नियंत्रण पर काम करने वाली एजेंसियां करोड़ों का चालान काटती हैं लेकिन उल्लंघन करने वाले जुर्माना देने के बजाय कोर्ट पहुंच जाते हैं और फिर ये मामले सालों चलते हैं. जुर्माना लगाने और FIR करने के तमाम आदेश सिर्फ़ अख़बार और टीवी चैनलों की सुर्ख़ियों में ही सिमट कर रह जाते हैं.