देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के मुद्दे को लेकर आठ सांसद आए एक मंच पर

करदाताओं ने उठाई आवाज, टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत ने चर्चा का आयोजन किया

देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के मुद्दे को लेकर आठ सांसद आए एक मंच पर

चर्चा में शामिल सांसद गण.

नई दिल्ली:

देश में बढ़ती जनसंख्या की चिंता अब सांसदों को भी परेशान करने लगी है, इसीलिए कुछ सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल के तहत जनसंख्या पर रोक के लिए बिल लाने और कानून बनाने की मांग की है. इन्हीं सांसदों को टैकसैब यानि टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत ने एक मंच पर आमंत्रित कर चर्चा का आयोजन किया.

इन  सांसदों में संजीव बलियान, प्रह्लाद पटेल, राजेश रंजन, राजेश पांडेय, सांसद राघव रामलखन शामिल हुए. कार्यक्रम में देश की सौ करोड़वी बच्ची ने भी जनसंख्या बढ़ोत्तरी के नुकसान बताए. चर्चा की शुरुआत टैक्सेब के अध्यक्ष मनु गौड ने बिल लाने के लिए सांसदों के धन्यवाद से की. मनु गौर ने कहा कि टैकसैब पिछले पांच सालों से इसके लिए प्रयास कर रहा था. सांसद राजेश रंजन ने कहा कि देश में विकास रुक गया है. चमत्कार को नमस्कार नहीं होना चाहिए. ईश्वर को ढूंढना बंद होने का समय है. शिक्षा का स्तर बढ़ाने का समय आ गया है. हिन्दुस्तान का जस्टिस बिका हुआ है.

सांसद राघव रामलखन ने बताया कि उन्होंने संसद में नई जनसंख्या नीति बनाने की बात कई बार की है. यह सही है कि जिसके दो बच्चों से ज्यादा हों उसे सरकारी सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए. सांसद राजेश पांडेय ने कहा कि बंटवारे के समय देश की आबादी 33 करोड़ थी, आज 140 करोड़ पहुंच गई है. कोई बुद्धिजीवी इस औसत से बढ़ी आबादी को बर्दाश्त नहीं करेगा. भारत चीन की पॅालिसी की तुलना नहीं कर सकता.

पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान ने कहा कि उन्होंने संसद में बिल लाने के लिए स्पीकर को पत्र दिया है ताकि सभी को सुविधा मिल सके. जिसकी भी संख्या ज्यादा होगी, उसे ही कम सुविधा मिलेगी. कार्यक्रम में सांसद प्रह्लाद पटेल ने कहा कि सभी को मंथन करना होगा कि जनसंख्या कैसे कम हो. कार्यक्रम के समापन पर देश की सौ करोड़वी बच्ची आस्था, जो अब 18 साल की हो गई है, ने भी बढ़ती जनसंख्या के नुकसान के बारे में बताया.

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मनु गौड ने एनडीटीवी को बताया कि 1947 से आज तक देश की हर समस्या चाहे वह गरीबी हो, भुखमरी हो, बेरोजगारी हो या प्रदूषण, या अपराध हो, सभी लगातार बढ़ती रही हैं. इस कारण से देश के करदाताओं के पैसों का सदुपयोग देश व समाज के विकास में नहीं हो पा रहा है. इसलिए आवश्यकता है कि इस देश के करदाता अत्यधिक जनसंख्या के विरुद्ध आवाज उठाएं ताकि देश की समस्याओं का समाधान हो सके. सभी को सुख व सम्पन्न जीवन दिया जा सके. इसी आवाज को बुलन्द करने का काम टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत (टैकसैब) कर रहा है.