विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने संयुक्त राष्ट्र के नियम के हिसाब से सुविधाएं देने की मांग की

विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने संयुक्त राष्ट्र के नियम के हिसाब से सुविधाएं देने की मांग की

कश्मीरी पंडितों की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने घाटी से विस्थापित हुए समुदाय के सदस्यों को आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईपीडी) का दर्जा देने की मांग करते हुए उन्हें संयुक्त राष्ट्र के नियमानुसार सुविधाएं मुहैया कराने को कहा।

घाटी से बाहर हैं 62,000 विस्थापित परिवार
'ऑल कश्मरी पंडित कोऑर्डिनेशन कमेटी' ने गृहराज्य मंत्री हरीभाई पार्थीभाई चौधरी को एक ज्ञापन सौंप कर 1990 के दशक में उग्रवाद के कारण घाटी छोड़ने को मजबूर हुए पंडितों के लिए आईपीडी दर्जे की मांग की। कश्मीर घाटी से बाहर 62,000 विस्थापित परिवार रह रहे हैं। इनमें से 40,000 जम्मू में, 20,000 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में, जबकि शेष 2,000 देश के अन्य भागों में रह रहे हैं।

क्या है आईपीडी दर्जा?
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक आईपीडी वे लोग हैं जो अपने घरों से भागने को मजबूर हुए हैं, लेकिन अभी भी अपने देश की सीमा में रहते हैं। प्रत्येक वर्ष 20 जून अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडितों के विभिन्न संगठन समुदाय के लिए आईपीडी दर्जे की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए संविधान में अलग से प्रावधान करने की जरूरत होने के कारण, इस पर विचार नहीं हुआ है।

विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिलहाल मिलती है ये सहायता
विस्थापित कश्मीरी पंडितों को फिलहाल 2,500 रुपये प्रति व्यक्ति, और प्रति परिवार अधिकतम 10,000 रुपये दिए जाते हैं। आईपीडी के तहत वित्तीय सहायता 15 से 20 हजार रुपये प्रति व्यक्ति हो जाती है और उसमें कोई अधिकतम सीमा भी नहीं होती। इसके अलावा सरकार को अनिवार्य रूप से उनके आवास और स्वास्थ्य जरूरतों का ध्यान रखना पड़ता है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com