लखनऊ : शहादत का शोक मनाने की जगह पर डांस और प्री वेडिंग शूट! विरोध शुरू

लखनऊ के बड़े इमामबाड़ा में प्री वेडिंग शूट और डांस होने से मुसलमान समुदाय में नाराजगी, संगठन 'हुसैनी टाइगर्स' आंदोलन कर रहा

लखनऊ : शहादत का शोक मनाने की जगह पर डांस और प्री वेडिंग शूट! विरोध शुरू

लखनऊ के बड़े इमामबाड़े में डांस और प्री वेडिंग शूटिंग होने से लोगों में नाराजगी है.

खास बातें

  • इमामबाड़ा इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाने की जगह
  • मुहर्रम में गम मनाने का लंबा सिलसिला चलता है इमामबाड़ा में
  • सैलानी भी इमामबाड़ा में डांस और शूटिंग ठीक नहीं मानते
लखनऊ:

लखनऊ के मशहूर बड़े इमामबाड़े में प्री वेडिंग शूट और डांस होने से मुसलमान नाराज़ हैं. इमामबाड़ा एक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ धार्मिक स्थान है इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इमामबाड़ा करबला में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का शोक मनाने की जगह है, इसलिए सैलानियों को वहां जश्न मनाने से रोका जाए. बड़े इमामबाड़े में सैलानी ऐसे वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहे हैं कि लोग उन्हें देखकर नाराज़ हैं. क्योंकि इमामबाड़ा करबला में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का गम मनाने की जगह है और यहां मुहर्रम में गम मनाने का लंबा सिलसिला चलता है. तमाम सैलानी भी इसे ठीक नहीं मानते.

सैलानी पल्लवी मोहन ने कहा कि एक्चुअली टिकटॉक हैज गॉन क्रेज़ी. लोग बहुत ही उल्टी-सीधी चीजें कर रहे हैं. बट इन ए प्लेस लाइक दिस मॉन्युमेंट हिस्टॉरिकल..नहीं करना चाहिए.

इमामबाड़े की इमारत की खूबसूरती की वजह से यहां काफी प्री वेडिंग शूट भी होते हैं, जिसमें दूल्हा-दुल्हन डांस करते, तरह-तरह के रोमांटिक पोज़ देते हुए शूट करवाते हैं. इसका  विरोध होता है तो प्री वेडिंग शूट इमामबाड़े के बाहर होने लगता है. सरकार कहती है कि मामले की जांच होगी. यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा कि इसमें जो वीडियो आया है उसमें वहां पर जो सुरक्षा कर्मी हैं, उनकी चूक है. और हम बात करेंगे, जिलाधिकारी से पूछेंगे कि वहां कौन लोग थे सुरक्षा में जिन्होंने वहां पर इस चीज़ को होने दिया.

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हुसैनी टाइगर्स नाम का संगठन इसके खिलाफ आंदोलन कर रहा है. वे कहते हैं कि यहां धार्मिक स्थान होने के बावजूद हर धर्म के सैलानी को हर तरह की आज़ादी है लेकिन धर्म स्थान का लिहाज़ रखना सबका फ़र्ज़ है. हुसैनी टाइगर्स के अध्यक्ष शामिल शम्सी ने कहा कि इसके पहले भी यहां की सुरक्षा, रक्षा और रखरखाव को लेकर हम लोगों ने इमामबाड़े में ताला तक लगा दिया था. अगर इस प्रकार की मांगें नहीं होंगी तो.. जाहिर सी बात है कि यह हमारा धार्मिक स्थल है और अगर प्रशासन और सरकार हमारा साथ नहीं देगी तो हम आइंदा भी इसको बंद करने में सक्षम हैं.

बड़ा इमामबाड़ा नवाब आसिफुद्दौला ने सन 1784 के अकाल के वक्त बनवाना शुरू किया था. इसमें अकाल के शिकार लोगों को बड़े पैमाने पर काम मिलता था. अब इसकी देखरेख आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पास है, जो बुरी हालत में है. इसकी दीवारें सैलानियों की मोहब्बत के इजहार से खुर्ची हुई और जख्मी हैं.

सैलानी दिनेश ने कहा कि मैंने देखा अभी यहां पर लोगों ने खरोंचकर अपने नाम लिखे हुए हैं, अपनी गर्लफ्रेंड के नाम लिखे हुए हैं. थूका हुआ है कई जगह गुटखा खाकर..यह सब नहीं करना चाहिए.

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