मुंबई: कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में फ्लू की वैक्सीनों की मांग बढ़ी

इनफ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू,निमोनिया के टीके लगवाने वालों की संख्या दो से तीन गुनी बढ़ गई, कोरोना जैसे लक्षण वाली बीमारियों से बचने की कोशिश

मुंबई: कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में फ्लू की वैक्सीनों की मांग बढ़ी

प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

Mumbai Coronavirus: सर्दी के मौसम में कई मरीज कोविड के साथ-साथ मौसमी फ्लू से भी संक्रमित हो रहे हैं और ऐसे में मरीज जल्दी गम्भीर होते हैं. अब इससे बचाव के लिए लोग मौसमी फ्लू के टीके लगवाने लगे हैं, ताकि कोविड का प्रभाव कम हो. कोविड के कारण इस साल मुंबई के अस्पतालों में इनफ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू, निमोनिया के टीकाकरण में 2 से 3 गुना बढ़ोतरी दिख रही  है. डाक्टर कहते हैं कि लोगों में दिख रही यह जागरूकता अच्छी है. 

कोविड के खौफ के बीच फ्लू वैक्सीन की माँग काफी बढ़ी है. इनफ्लुएंजा ए बी, निमोनिया, स्वाइन फ्लू जैसी मौसमी फ्लू बीमारियों से बचाव वाले टीकों की मांग मुंबई के कई अस्पतालों में पिछले साल की तुलना में 2-3 गुना बढ़ी है. वैक्सीन ले चुकी महिला पद्मा जोसफ़ कहती हैं कि ‘'मुझे विश्वास है कि वैक्सीन लेने से जो निमोनिया पैचेस होते हैं, उससे मैं बच जाऊंगी. इसलिए मैंने फ़्लू वैक्सीन ली.''

फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के डायरेक्टर इमरजेंसी मेडिसिन डॉ संदीप गोरे ने कहा कि ‘'पिछले साल कोई एडल्ट, प्रोएक्टिवली वैक्सीन मांगने नहीं आया था, इस साल उनके नम्बर बहुत बढ़े हैं. 2-3 गुना एडल्ट बढ़े हैं वैक्सीन के लिए. काफ़ी अच्छी बात है कि लोगों में इस तरह की अवेयरनेस आई है.''

वाशी के हीरानंदानी हॉस्पिटल के डॉ मोहम्मद शकील अहमद कहते हैं कि ‘'दुनिया भर में इनफ़्लुएंजा का वैक्सीन हर साल लोगों को अनिवार्य है लेना. यह इंडिया में लोग नहीं लेते हैं. अगर सुझाव भी दें तो मना करते हैं कि हमें क्यों ज़रूरी है लेना. लोगों को इसका क्या फ़ायदा है, ये नहीं पता. इस साल कोविड के कारण लोगों ने इनफ़्लुएंज़ा और न्यूमोकोकल के वैक्सीन लिए हैं. इस साल 30% ज़्यादा लोगों ने इनफ़्लुएंज़ा वैक्सीन ली है.''

कोविड की बीमारी तब और घातक हो जाती है जब इसके साथ-साथ किसी और बीमारी या फ़्लू का भी सह-संक्रमण हो. ऐसे में ये टीके फ़ायदेमंद साबित होते हैं. खास तौर से इस सर्दी के मौसम में. 

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साई हॉस्पिटल के डॉ द्यानेश्वर वाघमारे ने कहा कि ''मैंने ऐसे भी मरीज़ देखे हैं जो कोविड पॉजिटिव भी हैं और स्वाइन फ़्लू पॉज़िटिव भी हैं. ऐसे में हाल में स्वाइन फ़्लू वैक्सीन जो अवेलेबल है, अगर वो लिया जाता है तो जो सीवियरिटी कम हो जाती है. तो जो डबल संक्रमण के मामले हैं उनमें हमको सिंगल ट्रीटमेंट करना है जिससे गम्भीरता कम होती है मरीज़ में.'' 

ग्लोबल हॉस्पिटल की इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ मंजूषा अग्रवाल कहती हैं कि ‘'यही सही वक्त है कि जब कोविड का संक्रमण जो फ़ैला है तो हमको दूसरे संक्रमण से बचना है, जैसे निमोनिया और फ़्लू, ताकि इन्फ़ेक्शन बर्डेन और इसके चांसेस बहुत कम कर सकते हैं. ''

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कोविड से रक्षा के तय उपाय जब तक ना आएं इससे बचाने के हर मुमकिन कोशिश लोग अपना रहे हैं. बड़ों में टीकों की जागरूकता एक अच्छी बात है.