कच्ची कॉलोनी मामला: AAP के आरोपों के बाद डीडीए ने बदला अपना यह जवाब

डीडीए की वेबसाइट में सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न में एक जवाब- 'ना तो यह कॉलोनियों का नियमितीकरण है और ना ही वहां बनी इमारतों का'

कच्ची कॉलोनी मामला: AAP के आरोपों के बाद डीडीए ने बदला अपना यह जवाब

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो).

खास बातें

  • पुरी ने कहा, उप मुख्यमंत्री अनुभव की कमी से कुछ चीज़ें समझ नहीं पा रहे
  • सिसोदिया ने कहा, बता दीजिए अनाधिकृत कालोनियों का नियमतीकरण है या नहीं?
  • मनीष सिसोदिया ने कहा- या कह दीजिए कि बीजेपी के ये होर्डिंग झूठे हैं
नई दिल्ली:

बीते दो दिनों से दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच दिल्ली की 1731 कच्ची कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है. इस संग्राम का आधार दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए की वेबसाइट में सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न यानी FAQ हैं. जिसमें सवाल नंबर दो है कि 'क्या यह कॉलोनियों का नियमितीकरण है?' इसके जवाब में लिखा गया है कि 'ना तो यह कॉलोनियों का नियमितीकरण है और ना ही वहां बनी इमारतों का.'

अब दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अपनी वेबसाइट पर डाले गए 'सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न' यानी FAQ में अहम बदलाव किया है. सवाल नंबर दो है कि 'क्या यह कॉलोनियों का नियमितीकरण है? इसके जवाब में पहले जहां दो लाइन का जवाब था वहां अब एक लंबा जवाब दिया गया है. और आखिर में लिखा है 'संपत्ति का मालिकाना हक कॉलोनियों के निवासियों के लिए नाम मात्र के नियमितीकरण से कहीं बहुत अधिक बेहतर है.'

डीडीए ने अपना जवाब विस्तार से देते हुए बताया है कि यह नियमितीकरण तो नहीं लेकिन कम समय में और कम विभागों से मंजूरी की जरूरत के साथ कॉलोनियों के निवासियों को उनके मकान का मालिकाना हक देना है. जवाब में बताया गया है कि कॉलोनी नियमित करने के लिए दिल्ली सरकार के पास डिपार्टमेंट का क्लियरेंस और उसके बाद लेआउट प्लान का अनुमोदन जरूरी होता.

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जबकि कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक मिलने के बाद वहां के निवासी बिना किसी बाधा के संपत्ति खरीद-बेच सकेंगे, संपत्ति के लिए लोन ले सकेंगे, नया मकान बनाने या मौजूदा मकान बनाने के लिए नक्शा पास करा सकेंगे. जबकि कॉलोनी में विकास के लिए डीडीए रियायत देते हुए नियम बनाएगा जिससे चौड़ी सड़कें, सीवर, पानी, हरित क्षेत्र आदि का काम हो सके.

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केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जवाब देते हुए कहा 'साफ दिख रहा है कि दिल्ली के माननीय उप मुख्यमंत्री अनुभव की कमी के कारण कुछ चीज़ें समझ नहीं पा रहे हैं और उन्हीं एक-दो शब्दों के जाल में उलझे पड़े हैं जो उन्होंने सुन रखे हैं. DDA की जिस वेबसाइट की वो बार-बार रट लगा रहे हैं उसमें भी उनको समझाने के लिए चीजें सरल कर दी गई हैं.'

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इसके जवाब में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनको ट्विटर पर जवाब देते हुए कहा 'धन्यवाद हरदीप पुरी सर! पहले आपने दो लाइन में उदय योजना के बारे में लिखा हुआ था- 'यह अनाधिकृत कालोनियों या उनके मकानों का नियमतीकरण नहीं है.' थोड़ा सरल करके बता दीजिए कि यह अनाधिकृत कालोनियों का नियमतीकरण है अथवा नही? हां या ना? (या कह दीजिए कि बीजेपी के ये होर्डिंग झूठे हैं).'

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आपको बता दें कि दिल्ली में कच्ची कॉलोनी एक बहुत बड़ा वोट बैंक है और उनको पक्का करना हर चुनाव में एक बहुत बड़ा चुनावी वादा होता है. बीजेपी दावा कर रही है कि उसने कच्ची कॉलोनी में रहने वाले 40 लाख लोगों को उनके मकान का मालिकाना हक दिलवा दिया है, यानी प्रक्रिया जारी है. जबकि आम आदमी पार्टी यह दावा कर रही है कि बीजेपी झूठा दावा कर रही है और कच्ची कॉलोनी पक्की नहीं करवा रही.

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