वाराणसी में रंग भरी एकादशी, काशी विश्वनाथ की गली गुलाल से हुई रंगीन

डमरू की थाप और शहनाई की धुन के बीच बाबा भोले नाथ की सवारी निकली, हर तरफ हर हर महादेव के नारे गूंजे

वाराणसी में रंग भरी एकादशी, काशी विश्वनाथ की गली गुलाल से हुई रंगीन

वाराणसी में रंग भरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ की सवारी निकली.

वाराणसी:

मथुरा में नवमी और दशमी से होली की शुरुआत हो जाती है. इसी कड़ी में वाराणसी में एकादशी  के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है, जिसे रंग भरी  एकदशी कहते हैं. इस दिन बाबा विश्वनाथ के  साथ भक्त अबीर गुलाल से होली खेलते हैं.पूरी गली हर-हर महादेव के नारे और अबीर गुलाल से गूंज जाती है. एकादशी के दिन बाबा की चल प्रतिमा अपने परिवार के साथ निकलती है..जिसके साथ बाबा के भक्तों का रेला चलता है जो अबीर और गुलाल से नहा उठता है.

डमरू की थाप और शहनाई की धुन के बीच बाबा भोले नाथ की निकली सवारी में आज सभी होली की मस्ती में सराबोर हैं. जिसे हरे लाल अबीर का रंग सब को फागुनी बयार की मस्ती में डुबोये हुए है. काशी की विश्वनाथ मंदिर की गली में आज जो भी गया वो इस रंग में सराबोर हो गया. हर तरफ हर हर महादेव के नारे के साथ होली की ही मस्ती नज़र आ रही थी. और ऐसा हो भी क्यों न क्योंकि आज ये लोग अपने भोले नाथ और माता पार्वती के साथ होली जो खेल रहे थे!

इस होली के पीछे मान्यता ये है कि शिवरात्रि के दिन विवाह के बाद  बाबा इस दिन मां पार्वती का गौना कराकर वापस लौटते हैं. लिहाजा देवलोक के सारे देवी देवता भी  इस दिन स्वर्ग लोक से बाबा के ऊपर गुलाल फेंकते है. इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर के आस पास की जगह अबीर और गुलाल के रंगों से सराबोर हो जाती है. भक्त जमकर बाबा के साथ होली खेलते हैं.

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आज के पावन दिन बाबा के चल प्रतिमा का दर्शन भी श्रद्धालुओं को होता है लिहाजा  बाबा के दर्शन को मानों आस्था का जन सैलाब काशी के इन गलियों मेंउमड़ पड़ता है. धार्मिक नगरी वाराणसी रंग भरी एकादशी के दिन से रंगों और गुलाल से नहा उठती है और ये रंग और भी चटकीला तब हो जाता है जब ये रंग बाबा और मां पार्वती के ऊपर पड़ता है. मान्यता है कि बाबा के साथ आज के दिन होली खेल मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.