वाराणसी : नेताओं के लिए खास हुए संत रविदास, पीएम नरेंद्र मोदी ने माथा टेका

रैदासियों का दिल जीतने के लिए संत रैदास के दोहों से अपनी योजनाओं और कार्यशैली को सिद्ध करते नजर आए पीएम मोदी

वाराणसी : नेताओं के लिए खास हुए संत रविदास, पीएम नरेंद्र मोदी ने माथा टेका

पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वाराणसी में संत रविदास के जयंती समारोह में भाग लिया.

खास बातें

  • पीएम मोदी ने लंगर चखा और रविदासियों की संगत में भाषण भी दिया
  • पीएम मोदी ने 50 करोड़ से इस इलाके के विकास की घोषणा की
  • साल 2007 में मायावती के दौरे के बाद नेताओं की बढ़ी रुचि
वाराणसी:

संत रविदास की जयंती के मौके पर वाराणसी के सीर गोवर्धन में मत्था टेकने देश के प्रधानमंत्री पहुंचे. उन्होंने यहां लंगर चखा और बाद में रविदासियों की संगत में भाषण भी दिया. चुनावी साल में रैदासियों के बीच प्रधानमंत्री की यह दस्तक पूरी तैयारी के साथ थी. उनके  भाषण में खास बात ये रही कि वे रैदासियों का दिल जीतने के लिए संत रैदास के अलग-अलग दोहों से ही अपनी योजनाओं और कार्यशैली को सिद्ध करते नज़र आए.  

प्रधानमंत्री यहां अचानक नहीं पहुंचे थे. इसके पहले 2018 की रविदास जयंती पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ आए थे और उन्होंने कहा था कि मुझे प्रधानमंत्री ने भेजा. बहरहाल संत रैदास की जन्मस्थली के विकास के लिए अब किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है. पीएम मोदी ने 50 करोड़ से इस इलाके के विकास की घोषणा की.  

साल 2007 के बाद नेताओं की आमद में तेजी
नेताओं का संत रविदास की जन्म स्थली से यह लगाव यूं ही नहीं है. इन्हें पता है कि संत रविदास के अनुयायी जिस बिरादरी के हैं उनका वोट अगर उनकी झोली में आ जाए तो फिर सत्ता का शीर्ष हमेशा उनके पास रह सकता है. साल 2007 में मायावती यहां संत के जन्म दिवस पर आई थीं. तब लंदन की एक संगत ने सोने की पालकी दान की थी. उसका  उद्घाटन मायावाती ने ही किया था. उसके बाद मायावती ने अस्सी घाट के बगल में रविदास घाट और पार्क का निर्माण कराया. तब से अचानक नेताओं की आमद यहां तेज हो गई. मायावती के बाद 2012 में राहुल गांधी यहां पहुंचे. उनके बाद अरविंद केजरीवाल भी संगत के साथ लंगर चख चुके हैं.

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पहले भी आते रहे हैं राजनीतिज्ञ
हालांकि इसके पहले राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, राष्ट्रपति  केआर नारायणन, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल सूरज भान, कल्याण सिंह,अशोक सिंघल, मुलायम सिंह जैसे नेता भी यहां आ चुके हैं. लेकिन तब इसका राजनीतिक समीकरण इतना प्रभावी नहीं था. अब तो संत रैदास के जरिए उनके अनुयाइयों के दिलों तक पहुंचाने की हर कोशिश हो रही है.

VIDEO : पीएम मोदी ने संत रविदास के मंदिर में किया पूजन

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मंदिर का इतिहास
संत रवि दास मंदिर उनकी जन्मस्थली वाराणसी के शिर गोवर्धन मोहल्ले में है. इस मंदिर का शिलान्यास सन 1965 में हुआ था. भव्य  मंदिर बनकर तैयार होने पर सन 1975 में संत रवि दास जी की मूर्ति की स्थापना हुई. इस मंदिर की सारी देखरेख एक चेरिटेबल ट्रस्ट के जरिए होती है. इसमें किसी तरह की सरकारी सुविधा अब तक नहीं ली गई है. पंजाब के जालंधर जिले के संत निरंजन दास जी डेरा संत सरवन दास जी सचखंड बल्ला जालंधर इस ट्रष्ट के चेयरमैन हैं. ज्यादातर भक्त पंजाब प्रांत के हैं जो वैसे तो यहां साल भर आते हैं लेकिन हर साल रवि दास जी की जयंती माघी पूर्णिमा के दिन देश भर से लाखों भक्त यहां आते हैं. संत रविदास के भक्त पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. उनके भक्त अब इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर की तरह बनाने का काम शुरू कर चुके हैं.