मॉब लिंचिंग में जान गंवाने वाले दिल्ली के डॉ पंकज नारंग के परिवार को कब मिलेगा इंसाफ? 

डॉ पंकज नारंग की पत्नी उपमा नारंग ने कहा कि वे शायद अब जिंदगी भर नार्मल नहीं हो पाएंगी, हर दिन वह घटना याद हो आती है

खास बातें

  • उपमा नारंग ने कहा- कोर्ट में हत्यारों को देख फिर से वही सब रिप्ले होता है
  • ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब मम्मी रोई न हों
  • नौकरी मिली, लेकिन एक लाख में घर तो नहीं चल सकता
नई दिल्ली:

दिल्ली के विकासपुरी में 23 मार्च 2016 को डॉक्टर पंकज नारंग की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी. जब यह घटना हुई थी तब मीडिया में सुर्खियों में बनी रही, लेकिन क्या आपको पता है कि तीन साल के बाद डॉक्टर नारंग के परिवार को क्या इंसाफ मिला? क्या दोषियों को सजा हुई? क्या मीडिया ने इस केस को फॉलो किया? तीन साल के बाद एनडीटीवी डॉक्टर नारंग के घर पहुंचा. डॉक्टर नारंग की पत्नी डॉक्टर उपमा नारंग से बात की.

डॉक्टर उपमा नारंग से हुई पूरी बातचीत इस प्रकार है-

सवाल: आप का केस कहां तक पहुंचा? क्या किसी को सजा हुई है?

जवाब: जी नहीं अभी इस केस में किसी को कुछ सजा नहीं हुई है. यह केस अगस्त 2016 में शुरू हुआ था. उसके बाद से अब तक पहले चार्ज प्रूव किए गए फिर प्रॉसीक्यूशन एविडेंस स्टेज पर था. बीच में फास्ट ट्रैक,  पायलट कोर्ट में भी गया था केस, लेकिन बहुत स्लो है. अभी तक प्रॉसीक्यूशन एविडेंस ही हो रहा है.

सवाल: दिल्ली सरकार ने भी उस वक्त आपको नौकरी देने की बात कही थी. नौकरी शायद दी भी थी. लेकिन इन तीन सालों में क्या कोई नेता आपसे मिलने आया? इन तीन सालों में क्या आप नार्मल हो पाई हैं?

जवाब: नॉर्मल तो मुझे नहीं लगता कि मैं शायद फिर जिंदगी भर हो पाऊं, पर उसके बाद जिंदगी में कभी किसी ने आगे नहीं बढ़ाया.

सवाल: आजकल आपने देखा होगा कि मॉब लिंचिंग केस बढ़ते जा रहे हैं. उस समय  भी इस केस को लेकर साम्प्रदायिक रंग दिया गया? पहले यह भी कहा गया कि यह रोडरेज भी हो सकता है. क्या आप आज भी इस तरह के केस को सुनकर घबरा जाती हैं?

जवाब:  बिल्कुल घबरा जाती हूं. आज भी हमारे सामने अभी तक वो आवाज मेरे कानों में गूंजती है. जब भी किसी दूसरे के साथ ऐसा होता होता है तो हमें अपना याद आ जाता है. एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब मम्मी न रोई हों, उन्होंने सब कुछ न याद किया हो. जब कोर्ट में भी हम जाते हैं, हर डेट में मैं अकेले जाती हूं. शायद कभी-कभार कोई भाई चला जाता है. हर डेट में मैं उनको देखती हूं. मेरे सामने फिर से वही सब रिप्ले होता है. जी तो अभी भी नहीं पाए हैं हम, किसी तरह बस अपने आप को घसीट रहे हैं क्योंकि बेटा मेरा छोटा है.

सवाल: आपका नुकसान हुआ है, भगवान करे ऐसा नुकसान किसी दूसरे का न हो. किसी के साथ ऐसा न हो. आपके नुकसान को कोई पूरा नहीं कर सकता है. आपको जितनी मदद मिलनी चाहिए थी क्या वो मिली?

जवाब: मैंने किसी से कुछ उम्मीद नहीं कि थी. बीजेपी वालों ने पहले नौकरी आफर की थी. केजरीवाल जी की तरफ से पहले कांट्रेक्चुअल पोस्ट आफर की गई थी तो मैंने मना कर दिया था फिर मुझे परमानेंट पोस्ट ऑफर की गई तो मैंने ले ली, लेकिन एक लाख रुपये की नौकरी से घर तो नहीं चल सकता. बेटे का फ्यूचर तो नहीं बन सकता.

सवाल: शुरुआत में इस घटना को लेकर मीडिया ने काफी कुछ किया, काफी कुछ लिखा गया लेकिन पिछले तीन साल क्या मीडिया ने दोबारा आपके केस को फॉलो किया?

जवाब: किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. कोई फॉलो करेगा भी क्यों.

दिल्ली में डॉक्टर की रॉड और डंडों से पीट-पीटकर हत्या

गौरतलब है 23 मार्च 2016 को दिल्ली के विकासपुरी का डॉ नारंग का परिवार उजड़ गया. इस दिन एक बेटे ने अपना पिता खोया, एक मां ने अपना बेटा खोया और एक पत्नी ने अपना पति. ऐसा काला दिन किसी के ज़िंदगी में न आए. विकासपुरी के डॉक्टर पंकज नारंग को भीड़ ने पीट पीट कर मार दिया. कौन यह उम्मीद कर सकता है कि घर के सामने कोई किसी को पीट पीट कर मार देगा. बचाने के लिए न तो पड़ोसी आए न पुलिस समय पर पहुंची.

डॉक्टर की मौत : सांप्रदायिक पहलू से इंकार करने वाली पुलिस अधिकारी को मिली गालियां

मामला यह था कि डॉक्टर नारंग का बेटा क्रिकेट खेल रहा था. खेलते-खेलते गेंद बाहर आई. डॉक्टर नारंग का बेटा जब गेंद उठाने के लिए बाहर आया तब सड़क पर जा रही एक मोटरसाइकिल से टकराते-टकराते बचा. मोटरसाइकिल वालों से डॉक्टर पंकज नारंग की बहस हुई. मोटर साइकिल पर जा रहे लोग डॉक्टर नारंग को धमकी दे गए, देख लेने कि बात कही, बदला लेने की बात कही.

दिल्ली : डॉक्टर पंकज नारंग की हत्या को लेकर साम्प्रदायिक अफवाहों का माहौल

कुछ देर के बाद भीड़ डॉक्टर नारंग के घर हमला करने के लिए पहुंच गई. डॉ नारंग ने पुलिस को फोन करने की कोशिश की, फोन नहीं लगा. भीड़ ने उनको मारना शुरू किया, बुरी तरह मारा. अस्पताल ले जाते, ले जाते डॉ नारंग की मौत हो गई.

इस केस में जबरन साम्प्रदायिक पहलू निकालने की कोशिश की गई. कहा गया कि इस भीड़ में सिर्फ मुस्लिम ही शामिल थे. कई लोगों ने ट्वीट भी किया लेकिन सलाम उस पुलिस अफसर को जिसके ट्वीट ने साम्प्रदायिक के रंग की हवा उड़ा दी. उस समय की एडिशनल डिप्टी कॉमिश्नर मोनिका भारद्वाज ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि पकड़े गए नौ लोगों में से पांच हिंदू भी हैं. इसके बाद साम्प्रदायिक रंग देने वाले लोगों को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा

VIDEO : डॉ नारंग की हत्या को लेकर हंगामा है क्यों बरपा

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