टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ को क्यों कहना पड़ा 'सिर्फ गोरा ही सुंदर नहीं'

अभिनव मुकुंद बताते हैं कि उनके रंग के कारण उन्हें कई चुभाऊ टिप्पणियां सहनी पड़ीं, जिससे वह कई बार दुखी हो गए.

टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज़ को क्यों कहना पड़ा 'सिर्फ गोरा ही सुंदर नहीं'

अभिनव मुकुंद ने दिया कड़ा संदेश

खास बातें

  • सोशल मीडिया पर नस्लभेद के खिलाफ कड़ी मुहिम छेड़ी
  • रंग के कारण चुभाऊ टिप्पणियां सहनी पड़ीं
  • नस्लभेद करने वालों को कड़ी नसीहत दी
नई दिल्ली:

श्रीलंका दौरे पर गई टीम इंडिया के लिए ओपनर अभिनव मुकुंद को भले ही एक टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला, पर इस दौरान भी वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराने से नहीं चूके. अभिनव मुकुंद ने सोशल मीडिया पर एक पत्र लिखकर नस्लभेद के खिलाफ कड़ी मुहिम छेड़ दी है. अभिनव मुकुंद बताते हैं कि उनके रंग के कारण उन्हें कई चुभाऊ टिप्पणियां सहनी पड़ीं, जिससे वह कई बार दुखी हो गए. अपने ख़त में उन्होंने नस्लभेद करने वाले लोगों को नसीहत दी है. 

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अभिनव का खत
मुझे कई नामों से बुलाया जाता रहा है. मैं इन बातों को हंसकर नज़रअंदाज़ कर देता हूं. मैं ये बचपन से झेल रहा हूं और इन बातों ने मुझे मज़बूत बनाया है. मैं ऐसी बातों का जवाब नहीं देता पर आज मैं उन तमाम लोगों की तरफ़ से बोल रहा हूं जो रंगभेद शिकार हुए हैं. मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि सिर्फ़ गोरा ही सुंदर रंग नहीं होता."
 समर्थन में उतरे कई सितारे
मुकुंद के इस ट्वीट के समर्थन में फौरन ही आर अश्विन जैसे क्रिकेटर सामने आ गए. उन्होंने भी मुकुंद के पत्र की कॉपी ट्वीट कर उससे सीखने की सलाह दे डाली. 7 टेस्ट मैचों में दो अर्द्धशतकीय पारियां खेलने वाले बांए हाथ के इस सलामी बल्लेबाज़ ने भी साफ़ कर दिया कि उनका ये पत्र टीम इंडिया में किसी सदस्य के ख़िलाफ़ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बात का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. अभिनव सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने वाले पहले खिलाड़ी नहीं हैं, पर 122 फर्स्ट क्लास मैचों में 48 के औसत से साढ़े आठ हज़ार से ज़्यादा रन बनाने वाले अभिनव ने जो मुद्दा उठाया है वह बेहद संजीदा है और उम्मीद की जा सकती है कि खेल प्रेमी इस पर जरूर गौर फरमाएंगे.


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