यह ख़बर 13 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

एडिलेड टेस्ट : ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 48 रन से हराया, कोहली और विजय की कोशिश नाकाम

एडिलेड टेस्ट के दौरान शॉट जमाते मुरली विजय

नई दिल्ली:

एडिलेड टेस्ट में मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 48 रन से हरा दिया है। भारत की दूसरी पारी 315 रन पर सिमट गई। कप्तान विराट कोहली के शानदार 141 रन और मुरली विजय के 99 रन की पारियों के बावजूद आखिरी पलों में भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और नियमित अंतराल पर विकेट गिरते चले गए। नेथन लेयॉन ने मैच की दूसरी पारी में सात विकेट झटके। पहली बार में उन्होंने पांच विकेट चटकाए थे।

कोहली ने कप्तान के तौर पर डेब्यू करते हुए दोनों पारियों में शतक लगाया। तमाम उपलब्धियों के बावजूद कोहली भारत को जीत तक नहीं पहुंचा सके। कोहली और शतक से एक रन से चूकने वाले विजय के बीच हुई तीसरे विकेट के लिए हुई 185 रनों की साझेदारी के दौरान भारत आसानी से जीत तक पहुंचता दिख रहा था।

नेथन लेयॉन (152-7) की उम्दा ऑफ स्पिन गेंदबाजी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने हालांकि 364 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को 87.1 ओवरों में 315 रनों पर सीमित कर दिया। चार टेस्ट मैचों की शृंखला में भारत अब 0-1 से पीछे हो गया है।

इससे पूर्व, कप्तान माइकल क्लार्क ने दूसरी पारी में चौथे दिन के स्कोर पांच विकेट पर 290 रन पर पारी समाप्त घोषित कर, भारत के सामने 364 रनों का लक्ष्य रखा। इसके जवाब में भारत ने खराब शुरुआत के बाद संघर्ष जारी रखा।

भारतीय बल्लेबाजों के संघर्ष को देखते हुए कहा जा रहा था कि टीम इंडिया 90 ओवरों के खेल में 364 रनों के लक्ष्य को हासिल कर सकती है, क्योंकि इसी टेस्ट के तीसरे दिन के खेल में भारत 90 ओवरों के खेल में 5 विकेट पर 369 रन बनाए थे।

एडिलेड में चौथी पारी में जीत हासिल करने के लिए जो सबसे बड़ा स्कोर बना है, वो 315 रनों का है। ये लक्ष्य 112 साल पहले, 1902 में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के खिलाफ हासिल किया था, छह विकेट पर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 315 रन बनाकर टेस्ट जीता था।

इतना ही नहीं, एडिलेड टेस्ट की चौथी पारी में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी भारत के नाम है। भारत ने 1978 में, एडिलेड टेस्ट की चौथी पारी में 445 रन बनाए थे। टीम वो मुक़ाबला महज 47 रनों से हार गई थी, लेकिन मोहिंदर अमरनाथ, गुंडप्पा विश्वनाथ और दिलीप वेंगसरकर की शानदार बल्लेबाज़ी की बदौलत टीम एक समय मैच जीतने की सूरत में पहुंच गई थी।

इसके अलावा 1991-92 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की शतकीय पारी की बदौलत टीम इंडिया ने एडिलेड में चौथी पारी में 333 रन बनाए थे। तब भारतीय टीम महज 38 रन से मैच हार गई थी।

2003-04 के दौरान राहुल द्रविड़ ने अकेले दम पर भारत के लिए टेस्ट जीतने का करिश्मा दिखाया था। पहली पारी में 233 रन और दूसरी पारी में नॉट आउट 72 रन बनाकर द्रविड़ ने टीम इंडिया को चार विकेट से जीत दिलाई थी। तब भारत ने 233 रन बनाकर मैच जीता था।


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