तेज गेंदबाज 'पेयर' में शिकार करते हैं, नेहरा-बुमराह की जोड़ी है इसकी मिसाल

तेज गेंदबाज 'पेयर' में शिकार करते हैं, नेहरा-बुमराह की जोड़ी है इसकी मिसाल

बुमराह ने कम समय में ही टीम इंडिया में अपनी जगह लगभग निश्चित कर ली है।

नई दिल्ली:

क्रिकेट में यह जुमला बेहद आम है कि 'तेज गेंदबाज पेयर (जोड़ी) में शिकार करते हैं।' यह बात भारतीय तेज गेंदबाज जोड़ी आशीष नेहरा और जसप्रीत बुमराह को लेकर एकदम सही साबित हो रही है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज से ये दोनों गेंदबाज अधिकतर मौकों पर टीम इंडिया को अपनी गेंदबाजी से शुरुआती सफलताएं दिला रहे हैं। पारी के शुरुआती क्षणों में मिल रहे यह विकेट टीम की जीत का आधार बन रहे हैं। मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ मैच में भी इन दोनों टीम इंडिया को शुरुआती सफलता दिलाई। मैच में नेहरा ने एक और बुमराह ने दो विकेट लिए।

अनुभव और यूथ पावर का मिश्रण
टीम इंडिया को मिल रही लगातार जीतों में अहम योगदान देने वाली यह जोड़ी एक मायने में अनुभव और यूथ पॉवर का अनोखा मिश्रण है। जहां 36 साल के नेहरा उम्र को मात देते हुए एक के बाद कामयाबियां हासिल कर रहे हैं, वहीं 22 साल के बुमराह को इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किए हुए चंद महीने ही हुए हैं। इसके बावजूद वे जिस तरह से अपनी शानदार गेंदबाजी से टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का विकेट हासिल कर रहे हैं, उसके मद्देनजर उनका भविष्य उज्जवल माना जा सकता है।

यॉर्कर फेंकने में माहिर हैं बुमराह
श्रीलंका के खिलाफ मंगलवार के मैच से पहले तक बुमराह ने आठ टी-20 मैचों में 16 के आसपास के औसत से 11 विकेट हासिल किए हैं। अजीबोगरीब एक्शन से वे अपनी गेंदों को अच्‍छी गति देने में कामयाब होते हैं। यॉर्कर फेंकने में भी उन्‍हें कमाल की महारत हासिल है। बुमराह की एक और काबलियत यह है कि डेथ ओवर्स में वे लाइन-लेंथ नहीं भटकते और उनके खिलाफ रन बनाना बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होता।

वर्ल्डकप 2011 में विजेता टीम के सदस्य थे नेहरा

 
अब बात नेहरा की...। बाएं हाथ का यह गेंदबाज अपने खराब फॉर्म के कारण नहीं, बल्कि फिटनेस और चोटग्रस्‍त होने की समस्‍या के कारण अब तक टीम इंडिया का स्‍थायी सदस्‍य नहीं बन पाया है। वर्ल्डकप 2011 में विजेता रही टीम इंडिया के वे सदस्य रह चुके हैं। नेहरा को हमेशा इस बात का मलाल रहा है कि उनकी गेंदबाजी के बजाय इतर कारणों से वे टीम का नियमित सदस्‍य बनने से चूकते रहे हैं। वर्ल्डकप 2003  (जिसमें टीम इंडिया उपविजेता रही थी) में इंग्लैंड के खिलाफ लिए गए उनके छह विकेट की याद क्रिकेट प्रेमियों में दिमाग में अभी भी ताजा होगी।

टी-20 वर्ल्डकप में दोनों के प्रदर्शन पर होगी नजर
नेहरा पहले विकेट के दोनों ओर स्विंग कराते हुए काफी तेज गति से गेंदबाजी करते थे, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उनकी गति में कमी आई है और इसकी भरपाई उन्‍होंने सटीक लाइन-लेंथ के जरिये की है। टी-20 के आमतौर पर 'युवाओं को क्रिकेट' कहा जाता है, लेकिन 35 वर्ष से ऊपर के नेहरा ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। उनके अनुभव से देश के लिए भविष्‍य के गेंदबाज बुमराह को भी काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। टी-20 वर्ल्डकप का आयोजन इसी माह भारत में होना है। गेंदबाजी के लिहाज से बात करें तो स्पिनरों के अलावा नेहरा-बुमराह की जोड़ी पर भी टीम इंडिया के शानदार प्रदर्शन का दारोमदार होगा।

संयोग से ही साथ में गेंदबाजी करने का मौका मिला
नेहरा और बुमराह को एक तरह से संयोग से भी तेज गेंदबाजी में जोड़ी बनाने का मौका हासिल हुआ है। नेहरा का चयन जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए टीम इंडिया में किया गया था तो उम्र का हवाला देते हुए उनके चयन पर उंगलियां भी उठाई गई थीं, लेकिन दिल्‍ली के इस गेंदबाज ने सबको गलत साबित कर दिया। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुने गए मो. शमी की चोट समय पर ठीक नहीं हो पाई और बुमराह को उनकी जगह पर टी-20 टीम में जगह बनाने का मौका मिल गया। गुजरात के स्पीड स्टार ने इस मौके को पूरी तरह भुनाया और आज वे टीम के स्ट्राइक बॉलर बन चुके हैं।
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टी-20 मैचों में नेहरा और बुमराह का हाल का गेंदबाजी प्रदर्शन
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भारत-ऑस्ट्रेलिया (एडिलेड ओवल)
नेहरा-1/30
बुमराह-3/23
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भारत-ऑस्ट्रेलिया (मेलबर्न)
नेहरा-0/34
बुमराह-2 /37
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भारत-ऑस्ट्रेलिया (सिडनी)
नेहरा-1/32  
बुमराह-1 /43
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भारत-श्रीलंका (पुणे)
नेहरा-2/21  
बुमराह-0 /19
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भारत-श्रीलंका (रांची)
नेहरा-2/26   
बुमराह-2 /17
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भारत-श्रीलंका (विशाखापट्नम )
नेहरा-1/17    
बुमराह-1 /10
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एशिया कप
भारत-बांग्लादेश (मीरपुर )
नेहरा-3 /23     
बुमराह-1 /23
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भारत-पाक  (मीरपुर )
नेहरा-1 /20      
बुमराह-1 /8
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भारत-श्रीलंका (मीरपुर )
नेहरा-1 /23     
बुमराह-2 /27
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