ऑस्ट्रेलिया के वॉ बंधुओं का अर्धशतक, दोनों 50 साल के हुए

फाइल फोटो

ऑस्ट्रेलिया के वॉ बंधुओं ने अर्धशतक पूरा कर लिया है। जी हां, मार्क और स्टीव वॉ 50 साल के हो गए हैं।  सोलोमॉन्स बचपन में ही दोनों जुड़वा भाइयों की प्रतिभा पहचान गए थे। 1980 के दशक में उन्होंने अपने किंग्सरोव स्पोर्ट्स स्टोर पर दोनों को नौकरी दी थी। दोनों किशोर उनकी दुकान पर सेल्समैन थे, लेकिन मन लगाकर वे काम नहीं करते थे, क्योंकि इनका दिल तो कहीं और था। मार्क वॉ तो वहीं एक बड़े बॉक्स में सो भी जाते थे। वहीं स्टीव अपने आपको बहुत व्यस्त दिखाते थे, लेकिन काम कम करते थे। यहां काम करते हुए दोनों के पास क्रिकेट में अपनी हुनर तराशने का काफी समय मिल जाता था। वे हमेशा खेलने के लिए मौक़ा तलाशते रहते। दोनों की अपनी प्रतिभा पर पूरा भरोसा था।

जल्दी ही स्टीव के बैट को एक प्रायोजक मिल गया। वो और कोई नहीं उनके मालिक सोलोमॉन्स ही थे। उसके बाद एक भारतीय कंपनी सायमंड्स स्टीव वॉ के बैट की स्पॉनसर बनी। कुछ दिनों बाद सोलोमॉन्स मार्क वॉ के प्रायोजक बन गए। स्कूल के बाद दोनों ने कॉलेज में दाखिला लिया। स्टीव वॉ का कॉलेज 90 मिनट चला। एक दिन म्यूज़िक क्लास के बीच में ही अपना बोरिया बस्ता लेकर उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया। वे ऑस्ट्रेलिया के अंडर-19 टीम में चुन लिए गए। बाद में उसी कॉलेज के ऑनर बोर्ड पर स्टीव का नाम लिखा जाना था।

स्टीव की आंखों में सपने तैर रहे थे। वह बहुत महात्वाकांक्षी थे। उन्हें पता था कि क्या करना है और कहां जाना है। सफलता ज़्यादा दूर नहीं थी। जल्दी ही न्यू साउथ वेल्स के चयनकर्ताओं का फोन आ गया। अब स्टीव टेस्ट टीम में थे। इस बीच मार्क ने तो कॉलेज जाने के बारे में सोचा ही नहीं। क्रिकेट करियर को लेकर भी थोड़े लापरवाह थे। स्टीव वॉ के राष्ट्रीय टीम में चुन लिए जाने के एक साल बाद तक मार्क वॉ हैरी सोलोमॉन्स के स्टोर पर काम करते रहे, लेकिन मार्क ने सपने देखना बंद नहीं किया। स्टीव के टेस्ट कैप मिलने के 6 साल बाद मार्क को भी ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में चुन लिया गया।

वॉ बंधुओं के कई साल बाद हैरी सोलोमॉन्स पर एक और किशोर काम करने आया। अपने काम में माहिर और ईमानदार था। उसका सपना वॉ बंधुओं से भी बड़ा था। वो ऑस्ट्रेलिया का कप्तान बनना चाहता था। नाम था माइकल क्लार्क।

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हैप्पी बर्थ डे स्टीव और मार्क वॉ!!!