कभी ट्रेन टिकट कलेक्टर हुआ करते थे महेंद्र सिंह धोनी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

महेंद्र सिंह धोनी की चार साल पहले वानखेड़े स्टेडियम में विश्व कप ट्रॉफी थामकर खुशी जताने की तस्वीर सभी को याद होगी, लेकिन यह बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारतीय क्रिकेट का यह स्टार खिलाड़ी कभी खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर हुआ करता था।

पान सिंह और देवकी देवी के बेटे धोनी मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते थे और उन्हें अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए नौकरी करनी पड़ी थी। पत्रकार और लेखक विश्वदीप घोष ने अपनी किताब 'एमएसडी, द मैन, द लीडर' में रांची के इस खिलाड़ी की भारत के सबसे सफल कप्तान बनने की यात्रा का जिक्र किया है।

बिहार की तरफ से कूच बेहार ट्राफी में अंडर-19 क्रिकेट खेल चुके धोनी नौकरी की खातिर पश्चिम बंगाल के खड़गपुर चले गए जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और सबसे लंबे प्लेटफॉर्म के लिए मशहूर है। दक्षिण पूर्वोत्तर रेलवे (एसईआर) के तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक और क्रिकेट प्रेमी स्वर्गीय अनिमेश गांगुली को तब ऐसे ट्रेन टिकट निरीक्षक (जिसे अमूमन टीटीई या टिकट कलेक्टर कहा जाता है) की तलाश थी, जो क्रिकेटर हो और एसईआर की टीम से भी खेल सके। धोनी ने न सिर्फ टीटीई की परीक्षा पास की, बल्कि वह एसईआर टीम का अहम हिस्सा भी बन गए।

यह कल्पना करना मुश्किल है कि कभी भारतीय कप्तान ने टिकटों की जांच की होगी लेकिन किताब के अनुसार यह विकेटकीपर बल्लेबाज न सिर्फ पूरी ईमानदारी से अपना काम करता था, बल्कि उन्होंने टेनिस बाल क्रिकेट खेलकर खड़गपुर में अपनी पहचान भी बना दी थी।

स्टेशन में कई घंटे बिताने के बाद धोनी टेनिस बाल क्रिकेट खेला करते थे, जिसे इस क्षेत्र में 'खेप' कहा जाता है। धोनी कुछ चोटी के क्लबों से खेला करते थे और रिपोर्ट के अनुसार वह हर मैच के लिए 2000 रुपये लिया करते थे, लेकिन लेखक का कहना है कि यह स्टार खिलाड़ी आयोजकों के साथ सौदेबाजी नहीं करता था।

अमूमन शांत और एकाग्रचित रहने वाले धोनी के बारे किताब में लिखा गया है कि टीवी चैनल बदलने को लेकर एक बार धोनी की अपने साथी (रूममेट) दीपक के साथ झगड़ा हो गया था। झगड़ा इतना बढ़ गया था कि टेलीविजन को नुकसान पहुंच गया और धोनी को नौकरी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले और उस कमरे में रहने वाले उनके एक अन्य साथी सत्यप्रकाश कृष्णा ने बीच बचाव किया। धोनी तब शारजाह कप मैच देखना चाह रहे थे, जबकि दीपक अमिताभ बच्चन की 'मुकद्दर का सिकंदर' देखने में व्यस्त था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

लगता है कि खड़गपुर में चार साल के प्रवास के दौरान धोनी की मैदान से बाहर की यह एकमात्र ऐसी घटना थी जब वह गुस्सा गए थे। इसके अलावा उनकी क्रिकेट के चर्चे ही यहां अधिक होते हैं।