यह ख़बर 07 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

भारतीय संस्कृति और टीम के खिलाफ चैपल ने उगला जहर

खास बातें

  • उनका कहना है कि भारतीय टीम अच्छे नेतृत्वकर्ता पैदा नहीं कर सकते क्योंकि भारतीय व्यवस्था में सभी फैसले माता-पिता, स्कूली शिक्षक और कोच करते हैं।
एडिलेड:

ग्रेग चैपल कभी भारत के कोच थे लेकिन उन्होंने अब न सिर्फ भारतीय क्रिकेट टीम बल्कि भारतीय संस्कृति को लेकर भी जहर उगला है। उनका कहना है कि भारतीय टीम अच्छे नेतृत्वकर्ता पैदा नहीं कर सकते क्योंकि भारतीय व्यवस्था में सभी फैसले माता-पिता, स्कूली शिक्षक और कोच करते हैं। चैपल ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति एकदम भिन्न है। यह टीम की संस्कृति नहीं होती है। उनके पास टीम में नेतृत्वकर्ताओं की कमी है। छोटी उम्र से उनके माता-पिता सभी फैसले करते हैं। उनके स्कूली शिक्षक उनके सभी फैसले लेते हैं और उनके कोच उनके फैसले करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘भारत में इस तरह की संस्कृति है कि आप कोई अपना सिर उठाकर बात करता है तो कोई आप पर बरस पड़ेगा। इसलिए वे अपना सिर नीचा करके सीखते हैं और जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।’ क्रिकइन्फो के अनुसार चैपल ने अपनी किताब ‘फायर्स फोकस’ के प्रचार कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘पोम्स (अंग्रेज) ने वास्तव में उन्हें सिर नीचा करना सिखाया था। यदि किसी को जिम्मेदार समझा जाता था तो उसे सजा मिलती थीं इसलिए भारतीयों ने जिम्मेदारी लेने से बचना सीखा। इसलिए किसी भी फैसले की जिम्मेदारी लेने से पहले वे उससे बचने को प्राथमिकता देते हैं।’ चैपल ने कहा कि भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपवाद लगता है लेकिन लगता है कि वह भी इस व्यवस्था का शिकार बन गया है।

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भारतीय टीम के 2005 से 2007 तक कोच रहे चैपल ने कहा कि बहुत अधिक क्रिकेट का धोनी पर असर दिखने लगा है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन इस दौरे में उसे देखने पर, मैंने उससे बात नहीं की और ना ही मैं उससे मिला, लेकिन मैदान पर केवल उसके हाव भाव देखकर मुझे नहीं लगा कि यह वही एमएस धोनी है जिसे मैं जानता हूं। मैं समझता हूं कि भारतीय क्रिकेट का बोझ उस पर भारी पड़ रहा है।’ इस पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान ने इसके साथ ही कहा कि ऑस्ट्रेलिया के हाल के दौरे में भारतीयों में टेस्ट क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखी। चैपल का इसके साथ ही मानना है कि वीरेंद्र सहवाग की कप्तान बनने की महत्वकांक्षा से भी टीम को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, ‘सहवाग को लगता है कि (अनिल) कुंबले के बाद उसे कप्तान बनना चाहिए था इसलिए वहां कुछ मतभेद पैदा हो गये।’