खास बातें
- भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने कहा कि वह भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर रोमांचित हैं, लेकिन टेस्ट मैचों के भविष्य को लेकर वह चिंतित हैं।
कोलकाता: भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने कहा कि वह भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर रोमांचित हैं, लेकिन टेस्ट मैचों के भविष्य को लेकर वह चिंतित हैं। चैपल ने वार्षिक टाइगर पटौदी लेक्चर देते हुए कहा, मैं समझता हूं कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य बहुत मजबूत है। मैं यह सोचकर रोमांचित हूं कि भारतीय क्रिकेट कहां जा सकता है और खेल की अगुवाई कर सकता है।
इस पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को हालांकि एक चिंता खाये जा रही है और वह ट्वेंटी-20 के युगल में टेस्ट क्रिकेट का भविष्य है। चैपल ने कहा कि यदि टेस्ट क्रिकेट अपना महत्व खो देता है तो यह बड़ी गलती होगी और इससे क्रिकेट के भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने टेस्ट मैचों को क्रिकेट की आत्मा करार देते हुए कहा, यदि हम टेस्ट को नजरअंदाज करते हैं तो क्रिकेट अपनी आत्मा खो देगा। इससे क्रिकेट का महत्व कम हो जाएगा। चैपल ने कहा कि वर्तमान स्थिति में टेस्ट क्रिकेट का बचाव करना जरूरी है। उन्होंने कहा, टी-20 क्रिकेट को दूसरे स्तर तक ले गया है। इसे होना चाहिए इसमें संदेह नहीं है। हमें बदलाव की जरूरत नहीं है। टेस्ट के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय मैच ही असली चुनौती पेश करते हैं और इसमें क्रिकेटरों के धैर्य की परीक्षा होती है। इससे उन्हें सबक मिलता है कि अच्छे और बुरे से कैसे एक साथ निबटा जाता है।
भारतीय क्रिकेट बारे में चैपल ने कहा कि यदि भारतीय खिलाड़ी भिन्न परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो फिर टीम को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।
उन्होंने कहा कि चुनौती केवल अलग-अलग तरह की पिचें ही नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में प्रगति करना भी है। चैपल ने कहा, आपको ऐसे खिलाड़ी तैयार करने हैं, जो सारी दुनिया में खेल सकते हों। मैं समझता हूं कि एक बार जब आपकी क्रिकेट इसे अपना लेगी तो फिर भारतीय क्रिकेट को कुछ भी हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। इस पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कहा कि भारतीय टीम को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम होना चाहिए क्योंकि बड़ी जनसंख्या होने का उसे नैसर्गिक लाभ है। चैपल ने कहा, लेकिन सही तरह की योजना नहीं होने के कारण ऐसा नहीं हो पाया। इसे (भारत को) क्रिकेट का अगला सुपरपॉवर होना चाहिए। इसे लंबे समय तक क्रिकेट पर दबदबा बनाए रखना चाहिए। इसके लिए बदलाव की जरूरत है, लेकिन तदर्थ रणनीतियों की जरूरत नहीं है।