#LiveCommentary : मनोज, रॉबिन और केदार ने गंवाया मौका

#LiveCommentary : मनोज, रॉबिन और केदार ने गंवाया मौका

भारतीय क्रिकेट टीम (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

भारत ने अपने सात सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया और कई ऐसे खिलाड़ियों को ज़िम्बाब्वे के दौरे पर जाने का मौका मिला, जो कई सालों से खेल रहे हैं, लेकिन टीम में जगह नहीं बना पा रहे थे। हरारे में खेले जा रहे पहले वन-डे मैच में जगह बनाने वाले तीन खिलाड़ी ऐसे हैं, जो समय-समय पर टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे हैं, एक बार फि‍र चयनकर्ताओं ने इन पर भरोसा जताया, लेकिन ये तीनों खिलाड़ी - मनोज तिवारी, रॉबिन उथप्पा और केदार जाधव ने निराश किया और सस्ते में आउट हो गए।

आइए मिलते हैं, केदार जाधव, मनोज तिवारी और रॉबिन उथप्पा  से...

केदार जाधव ने अपने करियर का एकमात्र मैच रांची में श्रीलंका के खिलाफ खेला था, जिसमें वह खास कुछ नहीं कर पाए थे। वह तीन चौकों की मदद से 20 रन बनाकर आउट हुए थे, हालांकि फील्डिंग के दौरान उन्होंने एक कैच भी लपका था। वैसे, फर्स्ट क्लास मैचों में केदार का प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा है, और वह अब तक 63 प्रथम श्रेणी मैचों में 47.23 की औसत से 4,298 रन बना चुके हैं।

उधर, मनोज तिवारी को एक साल बाद भारतीय टीम की नीली जर्सी पहनने का मौका हासिल हुआ था। वर्ष 2008 में 3 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ब्रिस्बेन मैच के साथ उन्होंने अपने वन-डे करियर की शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद जून, 2011 तक उन्हें दोबारा टीम में मौका नहीं मिला।

2011 में मनोज ने वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड के खिलाफ कुल पांच मैच खेले, और फिर वर्ष 2012 में वह जुलाई-अगस्त में टीम इंडिया के साथ श्रीलंका दौरे पर गए, जहां दो मैचों में उन्हें मौका मिला। उनका एकमात्र शतक चेन्नई में 2011 में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ खेले गए मैच में लगा, जबकि 2012 में श्रीलंका जाकर उन्होंने अपने करियर का अब तक का एकमात्र अर्द्धशतक ठोका। 2012 के बाद उन्हें बांग्लादेश दौरे पर टीम के साथ भेजा गया, जहां उन्होंने ढाका में खेले गए मैच में कुल 2 रन बनाए, और तब से मनोज टीम से बाहर हैं।

मनोज तिवारी ने नौ वन-डे मैचों की नौ ही पारियों में एक बार नाबाद रहते हुए एक शतक और एक अर्द्धशतक की मदद से 31.62 की औसत के साथ 253 रन बनाए हैं। इन्हीं मैचों की पांच पारियों में उन्हें गेंदबाजी का भी मौका मिला, जिनमें उन्होंने 28.80 की औसत से पांच विकेट भी चटकाए। इनमें से चार विकेट उन्होंने एक ही पारी में लिए थे।

रॉबिन उथप्पा भी लगभग सात महीने बाद नीली जर्सी पहनकर खेल रहे थे। रॉबिन उथप्पा ने वर्ष 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ इंदौर वन-डे से क्रिकेट में पदार्पण किया था, और उसके बाद 2008 तक उन्हें 37 मैच खेलने का मौका मिला, लेकिन फिर 2014 तक वह नीली जर्सी नहीं पहन पाए।

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2014 में उन्हें बांग्लादेश भेजा गया, और फिर श्रीलंका के खिलाफ घरेलू शृंखला में भी उन्होंने टीम इंडिया की तरफ से दो मैच खेले। रॉबिन ने हरारे वन-डे से पहले खेले 43 मैचों में कोई भी शतक नहीं बनाया है, लेकिन छह अर्द्धशतकों की मदद से वह 39 पारियों में से छह बार नाबाद रहकर 26.96 की औसत से 890 रन बना चुके हैं। विकेटकीपर के रूप में उन्होंने एक विपक्षी खिलाड़ी को स्टम्प भी किया है, और करियर में कुल 16 कैच लपके हैं।