यह ख़बर 14 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

अब हर मैच को अपना अंतिम मौका समझूंगा : मनोज तिवारी

खास बातें

  • क्रिकेटर मनोज तिवारी को उनके धैर्य के लिए पहचाना जाता है और इस 26 वर्षीय बल्लेबाज ने लम्बे इंतजार के बाद अंतिम एकादश में खेलने का मौका भुनाने में कोई गलती नहीं की।
नई दिल्ली:

क्रिकेटर मनोज तिवारी को उनके धैर्य के लिए पहचाना जाता है और इस 26 वर्षीय बल्लेबाज ने लम्बे इंतजार के बाद अंतिम एकादश में खेलने का मौका भुनाने में कोई गलती नहीं की।

तिवारी ने लगातार 14 मैचों में बाहर बैठने के बाद चेन्नई में पिछले साल नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने कैरियर का पहला एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा।

श्रीलंका दौरे पर दो वनडे में अर्धशतक जड़ने के अलावा चार विकेट चटकाने वाले तिवारी ने कहा, मैंने एक चीज सीखी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए मुझे प्रत्येक मैच को अपना अंतिम मौका मानना होगा। फिर यह मौका चाहे गेंद से मिले या बल्ले से, मुझे प्रदर्शन करना होगा।

उन्होंने कहा, अगर मैं यह कहूंगा कि मुझ पर कोई दबाव नहीं था तो मैं झूठ बोलूंगा। अगर आप लम्बे समय तक बाहर बैठते हो तो आपको दबाव महसूस होने लगता है, लेकिन साथ ही मुझे पता था कि मेरे अंदर बड़े मंच पर प्रदर्शन करने का धैर्य और विश्वास है। विश्वकप टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में शामिल तिवारी ने कहा, मुझे पता है कि अगर मुझे बल्ले या गेंद से मौका नहीं मिला तो भी मैं अपने क्षेत्ररक्षण से 12 से 15 रन बचा लूंगा।

तिवारी से जब यह पूछा गया कि क्या उन्हें यकीन था कि वह अपनी लेग ब्रेक से चार विकेट चटका लेंगे, उन्होंने कहा, जब मैं संक्षिप्त शिविर में हिस्सा लेने चेन्नई पहुंचा था एमएस (धोनी) मेरे पास आया और उसने मुझे नेट्स पर लेग स्पिन गेंदबाजी करने को कहा इसलिए यह तुक्का नहीं था।

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उन्होंने कहा, मैं नेट पर काफी लेग स्पिन गेंदबाजी करता हूं और मैं देख सकता हूं कि मेरा कप्तान इससे खुश है। वह मुझे बल्लेबाजी के साथ अधिक से अधिक गेंदबाजी करने को कहता है। पाल्लेकल में 65 रन की पारी के बारे में पूछने पर दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि वह शॉर्ट गेंद पर अपना विकेट गंवाने से निराश था।