मेरे लिए अब तक का सबसे खराब फैसला, लड़ाई जारी रखूंगा: श्रीसंत

स्पॉट फिक्सिंग मामले में केरल हाईकोर्ट द्वारा आजीवन प्रतिबंध बहाल रखने के फैसले पर एस श्रीसंत ने निराशा जताई. उन्होंने कहा कि मेरे पास परिवार और कई प्रिय गण हैं और मैं इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा.

मेरे लिए अब तक का सबसे खराब फैसला, लड़ाई जारी रखूंगा: श्रीसंत

क्रिकेटर एस. श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध.

खास बातें

  • श्रीसंत ने कहा-मेरे लिए विशेष नियम बनाए गए
  • 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्संग का था मामला
  • अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने श्रीसंत को दी थी राहत
नई दिल्ली:

स्पॉट फिक्सिंग मामले में केरल हाईकोर्ट द्वारा आजीवन प्रतिबंध बहाल रखने के फैसले पर एस श्रीसंत ने निराशा जताई. उन्होंने कहा कि मेरे पास परिवार और कई प्रिय गण हैं और मैं इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह मेरे लिए अब तक का सबसे खराब फैसला है. मेरे लिए विशेष नियम बनाया गया है, तो फिर अन्य दोषियों का क्या? राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई का क्या किया गया? 

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गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2013 आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध बहाल रखा है. केरल हाईकोर्ट ने ही अगस्त महीने में श्रीसंत पर लगे बैन को हटा दिया था. जिसके खिलाफ बीसीसीआई ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. मंगलवार को कोर्ट ने बीसीसीआई की अपील को सही मानते हुए श्रीसंत पर लगे बैन को जारी रखने का निर्देश दिया है. कोच्चि स्थिति केरल हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि श्रीसंत को बीसीसीआई द्वारा आयोजित सभी क्रिकेट गतिविधियों से दूर रहना होगा. 

श्रीसंत ने ट्वीट किया, मेरे पास परिवार और कई प्रिय गण हैं और मैं इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा. अपने अगले ट्वीट में श्रीसंत ने कहा कि यह अब तक का सबसे खराब फैसला है. मेरे लिए विशेष नियम बनाए गए हैं, तो तो फिर अन्य दोषियों का क्या? राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपरकिंग्स का क्या किया गया? 
तीसरे ट्वीट में श्रीसंत ने कहा कि लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में जिन तेरह लोगों का जिक्र है उनके खिलाफ क्या किया गया? इसके बारे में कोई नहीं जानता चाहता और मैं लड़ता रहूंगा, भगवान महान है.

VIDEO:श्रीसंत पर से हटेगा बैन?
गौरतलब है कि 7 अगस्त 2017 को इस मामले पर हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने सुनवाई के दौरान बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा था, 'बीसीसीआई इस बैन को सही ठहराने में विफल साबित हुआ है. उसने कार्रवाई करते हुए सभी साक्ष्यों पर ध्यान देने की बजाए साक्ष्य सिर्फ एक छोटे से हिस्से को अपने फैसले का आधार बनाया है. इसके चलते बोर्ड की अनुशासनात्मक समिति प्रस्तुत साक्ष्यों में सच तक नहीं पहुंच पाई. जिसके बाद श्रीसंत को बरी कर दिया गया था.

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