बीसीसीआई के विरोध के बावजूद आईसीसी में आमदनी के बंटवारे के नए मॉडल को हरी झंडी

बीसीसीआई के विरोध के बावजूद आईसीसी में आमदनी के बंटवारे के नए मॉडल को हरी झंडी

बहुमत के आधार पर बीसीसीआई की गुज़ारिश को ठुकरा दिया गया

मुंबई:

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के तीखे विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संस्था में शामिल ज्यादातर सदस्यों ने आईसीसी की आमदानी के बंटवारे के नये मॉडल के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है. दुबई में 2-4 फरवरी तक चली बैठक के बाद ये फैसला हुआ. 2017 आईसीसी बोर्ड मीटिंग में आमदनी के बंटवारे के अलावा और भी कई अहम बातों पर फैसला हुआ. 2014 के बिग-3 मॉडल जिसके तहत आईसीसी की आमदनी में सबसे बड़ा हिस्सा भारत, फिर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को मिलता था उसके ख़िलाफ खुद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया भी खड़े थे.

बैठक के बाद आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर ने कहा, 'आज आईसीसी और दुनिया भर में क्रिकेट के भविष्य के लिये अहम दिन था. 2014 में स्वीकृ‍त बातों को बदलने को लेकर वर्किंग ग्रुप के संवैधानिक और वित्तीय बदलाव के प्रस्ताव को आईसीसी बोर्ड ने मान लिया है और अब हम सब एक साथ इसे अप्रैल में आखिरी प्रारूप देंगे. इससे बीसीसीआई के नये नेतृत्व को भी सारी बारीकियों को समझने और अपना योगदान देने के लिये समुचित वक्त मिलेगा. मैं चाहता हूं कि आईसीसी अपने सारे 105 सदस्यों के प्रति तर्कसंगत और निष्पक्ष रवैया रखे, संशोधित संविधान और वित्तीय मॉडल यही करेगा. कुछ बातों पर विचार होना है, कुछ आशंकाएं भी हैं लेकिन बदलाव को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है.'

वैसे बीसीसीआई की नुमाइंदगी करने वाले विक्रम लिमये ने कम वक्त को लेकर इस प्रस्ताव पर अपनी चिंताएं जताईं, ये भी कहा कि वित्तीय बंटवारे के नये फॉर्मूले का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. उन्होंने दोनों प्रस्तावों को अप्रैल 2017 में आईसीसी की अगली बैठक में उठाने की गुज़ारिश की लेकिन बहुमत के आधार पर उनकी गुज़ारिश को ठुकरा दिया गया.

2014 में एन श्रीनिवासन के कार्यकाल में जो प्रस्‍ताव लाया गया था उसके मुताबिक बीसीसीआई को 2023 तक आईसीसी से 3400 करोड़ रुपये की कमाई होती, जिसपर कई देशों को ऐतराज़ था. इसके पीछे श्रीनिवासन का तर्क था कि इन तीनों देशों से ही सबसे ज्‍यादा कमाई होती है, इसलिए इनका हक भी ज्‍यादा बनता है. लेकिन शशांक मनोहर ने आईसीसी में पद संभालने के बाद इस प्रस्‍ताव को गलत बताया.


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