आज़ादी के 70 साल: 1971 की वो टेस्ट सीरीज जिसने टीम इंडिया को एक नई पहचान दी

25 जून 1932 को टीम इंडिया ने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर खेला था.

आज़ादी के 70 साल: 1971 की वो टेस्ट सीरीज जिसने टीम इंडिया को एक नई पहचान दी

फाइल फोटो

खास बातें

  • देश मना रहा आजादी की 70वीं वर्षगांठ
  • क्रिकेट के लिहाज से 1932 टीम इंडिया के लिए अहम
  • 1952 में भारत ने जीता पहला टेस्‍ट

अगर इतिहास के नज़रिये से देखा जाए तो सन 1932 भारत के लिए कई मायने रखता है. चाहे हम उस वक्त देश में चल रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन की बात करें या फिर जेल में महात्मा गांधी के 21 दिन के अनशन की लेकिन 1932 में भारत के लिए जो सबसे बड़ी बात हुई थी वो था अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का पदार्पण. 25 जून 1932 को टीम इंडिया ने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर खेला था. सीके नायडू की कप्तानी में खेले गए उस मैच को भारत हार गया था.

पहली जीत
टीम इंडिया को इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच जीतने के लिए 20 साल लग गए थे.  6 फरवरी 1952 को इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में खेले गए टेस्ट मैच को टीम इंडिया ने एक पारी और आठ रन से जीतकर इतिहास रचा था. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतने के लिए भारत को 30 साल लग गए. 1961/62 में भारत में खेले गए पांच मैच के टेस्ट सीरीज को 2-0 से जीत में कामयाब हुआ था.

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इंग्लैंड के मैदान पर अपनी पहली सीरीज जीतना चाह रहा था भारत
इंग्लैंड के घरेलू मैदान पर टेस्ट सीरीज जीतने के लिए टीम इंडिया पूरी कोशिश में लगी थी. यह 1971 की बात है. टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया. इस दौरे से देश के लोगों को काफी उम्मीद थी. उम्मीद की जा रहा थी कि इंग्लैंड के मैदान पर टीम इंडिया जीत के साथ पहली बार भारत का झंडा लहराएगी. इससे पहले भी 1952, 1959 और 1967 में टीम इंडिया इंग्लैंड का दौरा कर चुकी थी, लेकिन तीनों बार इंग्लैंड के हाथों भारत को करारी हार मिली. इस बार जीत की उम्मीद इसलिए की जा रही थी क्योंकि टीम इंडिया काफी अच्छे फॉर्म में थी. वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को उसी के मैदान पर हरा चुकी थी. 22 जुलाई  को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया पहला मैच ड्रा रहा. पांच अगस्त को मैनचेस्‍टर के मैदान पर खेला गया दूसरा टेस्ट मैच भी ड्रा रहा. अब टीम इंडिया को आखिरी टेस्ट मैच में कुछ कमाल करना था. आखिरी टेस्ट जीतकर इतिहास रचना था. इंग्लैंड के मैदान पर झंडा फहराना था.

पहली पारी के तहत भारत पिछड़ गया
15 अगस्त के दिन टीम इंडिया इंग्लैंड में थी. यही रणनीति बना रही थी कि कैसे इंग्लैंड को हराया जाए. 19 अगस्त 1971 को दोनों टीमों के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ. टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया. इंग्लैंड की पहली पारी के 355 रन के जवाब में टीम इंडिया ने 284 रन बनाए. इस तरह इंग्लैंड को पहली पारी में 71 रन की बढ़त मिली. टीम इंडिया के खिलाड़ी थोड़ा घबराए हुए थे. फिर इंग्लैंड की दूसरी पारी शुरू हुई. टीम इंडिया के कप्तान अजीत वाडेकर को अपने स्पिन गेंदबाजों पर काफी भरोसा था. वाडेकर ने जल्दी स्पिन आक्रमण शुरू कर दिया.



स्पिन गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी
बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और आर वेंकटराघवन जैसे स्पिन गेंदबाज टीम में थे. यह तीन गेंदबाज़ इंग्लैंड की पहली पारी में छह विकेट लेने में कामयाब हुए थे. अब इन गेंदबाजों पर काफी दबाव था. चंद्रशेखर को गेंदबाजी के लिए कप्तान ने बुलाया. फिर क्या हुआ चंद्रशेखर की फिरकी के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाज फिसल गए. एक के बाद एक विकेट गिरने लगा. चंद्रशेखर ने इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को आउट किया. वेंकटराघवन को दो विकेट मिले और बिशन सिंह बेदी भी एक विकेट लेने में कामयाब हुए. इंग्लैंड की पूरी टीम अपनी दूसरी पारी में सिर्फ 101 रन बनाकर आउट हो गई. अब टीम इंडिया को जीतने के लिए 173 रन चाहिए थे. लक्ष्य तो कम था लेकिन आसान नहीं था.  इंग्लैंड के घरेलू मैदान और घरेलू दर्शकों के सामने टीम इंडिया दवाब में थी.  

जीत के साथ टीम इंडिया ने रची इतिहास
टीम इंडिया का स्कोर जब सिर्फ दो रन था तब बिना रन बनाए सुनील गावस्कर आउट हो गए. टीम इंडिया फिर ज्यादा दवाब में आ गई. अशोक मांकड़ भी सिर्फ दो 11 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. लेकिन कप्तान वाडेकर और दिलीप सरदेसाई ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को जीत के करीब पहुंचा दिया. कप्तान वाडेकर ने सबसे ज्यादा 45 रन बनाए जबकि सरदेसाई ने 40 रन की पारी खेली. गुंडप्पा विश्वनाथ ने 33 रन बनाए. टीम इंडिया ने छह विकेट गंवाकर इंग्लैंड के मैदान पर इतिहास रचा और मैच जीतने के साथ-साथ सीरीज भी जीती. इस जीत के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी तिरंगे के साथ पूरे मैदान पर दौड़ रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वह वर्ल्ड वॉर जीत गए हों.

टीम को मिली एक नई पहचान
इस जीत ने टीम इंडिया की किस्मत बदल दी. टीम जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पहुंची तब एयरपोर्ट के बाहर लंबी लाइन थी. लोग अपने क्रिकेट सितारों की एक झलक के लिए कई घंटों से इंतजार कर रहे थे. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में इन खिलाड़ियों के स्वागत में एक समारोह भी रखा गया जिसमें कई हजार लोग शामिल हुए थे. कप्तान अजीत वाडेकर और अन्य खिलाड़ी जब दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे तब एयरपोर्ट के रास्ते में दस किलोमीटर तक लोगों का लंबा काफिल था. हाथ में झंडा और फूल माला लेकर लोग एयरपोर्ट पर खड़े हुए थे.

इन खिलाड़ियों के स्वागत में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में एक अलग सा रिसेप्शन भी रखा गया था जिसमें कई बड़ी हस्तियां शाामिल हुई थीं. इस रिसेप्शन में भारत के महान खिलाड़ी विजय मर्चेंट ने टीम की तारीफ करते हुए हुए कहा था “अजित एक बड़ा सपना पूरा हुआ है. भगवान आपको और 1971 के सभी क्रिकेटरों को आशीर्वाद दे, जिन्होंने भारत के इस सपने को पूरा किया है.”


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