यह ख़बर 03 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मिशन पूरा या रह गई कोई कसक?

खास बातें

  • हालांकि, टीम इंडिया ने ज़िम्बाब्वे को पांच−शून्य से हरा दिया है लेकिन थोड़े समय बाद फ़ैन्स शायद इस सीरीज़ को सिर्फ़ ऐसे ही याद करेंगे जैसे कोई एक कसक अभी बाकी रह गई है...।

हालांकि, टीम इंडिया ने ज़िम्बाब्वे को पांच−शून्य से हरा दिया है लेकिन थोड़े समय बाद फ़ैन्स शायद इस सीरीज़ को सिर्फ़ ऐसे ही याद करेंगे जैसे कोई एक कसक अभी बाकी रह गई है...। पांच−शून्य से जीत के बावजूद क्रिकेट के जानकार इसे बड़ी जीत नहीं मानेंगे। इसे टीम इंडिया के इतिहास में बड़ी जीत के नाम से दर्ज नहीं किया जाएगा।

इस पूरी सीरीज़ में जीत से टीम इंडिया की रेीटग सिर्फ़ एक प्वाइंट बढ़ी। 122 से 123। ऐसे में ज़िम्बाब्वे में वनडे सीरीज़ कम से कम कई युवा खिलाड़ियों को तराशने का एक शानदार मौका था लेकिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट अपने इस टॉस्क में कामयाब नहीं रहे।

परवेज़ रसूल हमेशा हमेशा बेंच पर ही रहे। अजिंक्य रहाणे को सिर्फ़ एक मैच में मौका मिला और अर्द्धशतक ठोककर उन्होंने अपने ऊपर नाकामी का ठप्पा नहीं लगने दिया। रविन्द्र जडेजा को यहां कुछ साबित करने की ज़रूरत नहीं थी। एक तरह से उन्हें बिना मतलब पांच के पांच मैच में उतारकर दूसरों को मौका लेने से रोक दिया गया।

रविन्द्र जडेजा ने सीरीज़ में पांच विकेट झटके और आखिरी मैच में नाबाद 48 रन बनाकर पांच मैच में कुल 63 रन अपने ऊपर से नाकामी का बोझ उतार दिया।  

क्या इन सबके बावजूद इसे कामयाब मिशन कह सकते हैं... ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ जीत हासिल करने से फ़ैन्स खुश हो सकते हैं लेकिन इसके उतने नंबर नहीं मिलेंगे जितने कि एक मज़बूत टीम के ख़िलाफ़ जीत से मिलते।

इस दौरे का मकसद सिर्फ़ ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ जीत हासिल करना नहीं बल्कि युवा खिलाड़ियों को आज़माना भी था... लेकिन टीम मैनेजमेंट और कप्तान कोहली ऐसा करने से क्यों चूक गए...?

परवेज़ रसूल को आखिरी मैच में भी मौका देने से चूककर कोहली ने जीत के रंग में पूरी टीम को निखरने का मौका नहीं दिया। उन्हें रविन्द्र जडेजा की जगह भी टीम में शामिल किया जा सकता था। पांच मैच में पांच विकेट हासिलकर जडेजा ने अपनी काबिलियत से अलग कुछ ख़ास नहीं साबित किया।

इसके अलावा, कप्तान कोहली रहाणे को भी ठीक से आज़मा नहीं पाए। आखिरी मैच में मौका मिलने से रहाणे को राहत तो मिली... अजिंक्य रहाणे ने पारी में सबसे ज़्यादा पचास रन भी बनाए लेकिन सिर्फ़ एक मौके से रहाणे क्या साबित कर सकते हैं...।

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खिलाड़ियों की सही आज़माइश टीम मैनेजमेंट के होमवर्क की पहचान होती है और इस बार जीत के बावजूद टीम मैनेजमेंट का यह पहलू हल्का नज़र आया।