इस बार आईपीएल में आपको डीआरएस के चलते ऐसे नजारे दिखाई पड़ेंगे
खास बातें
- बल्लेबजों अब जरा ध्यान से!
- थोड़ी सी सावधानी..मतलब...करियर की आसानी!
- पाकिस्तान की वजह से बोर्ड हुआ मजबूर!
नई दिल्ली: अगले महीने के पहले हफ्ते में शुरू होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2018 टूर्नामेंट में डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) का इस्तेमाल किया जाएगा. यह आईपीएल के इतिहास में पहला मौका होगा, जब इस तकनीक का इस्तेमाल होगा. आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कि पिछले पांच साल से यह विचार हमारे जहन में कौंध रहा था. और हमने टूर्नामेंट के 11वें संस्करण से इसको अमल में लाने का फैसला किया है.लेकिन वास्तव में इस फैसले के पीछे दो बड़े कारण रहे, जिनके चलते बीसीसीआई डीआरएस को अपनाने के लिए मजबूर हो गया.
बता दें कि टेस्ट क्रिकेट में डीआरएस का आधिकारिक तौर पर पहली बार इस्तेमाल साल 2009 से हुआ था. लेकिन आईसीसी ने टी-20 में इसे पहली पार पिछले साल अक्टूबर में ही शामिल किया.
डीआरएस का इस्तेमाल अंपायर के फैसलों की समीक्षा करने, स्लो-मोशन रि-प्ले के इस्तेमाल, माइक्रोफन और थर्मल इमेजिंक के लिए किया जाता है. वैसे भारत का इतिहास तकनीक विरोधी रहा है. डीआरएस का भारत ने काफी विरोध किया, लेकिन साल 2016 में उसने इसे स्वीकार कर लिया. डीआरएस को स्वीकार करने वाला भारत आखिरी टेस्ट खेलने वाला देश था.
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डीआरएस के इस्तेमाल के बाद से सटीक निर्णय देने के फीसद में काफी सुधार हुआ था. आईसीसी ने माना था कि इससे निर्णय प्रक्रिया बेहतर हुई है, लेकिन बीसीसीआई ने सालों तक इसका विरोध किया. बहरहाल अब बोर्ड की भी समझ में आ गया कि जब इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने पिछले साल अक्टूबर में इसे लागू कर दिया, तो उसके पास इसे लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अगर इस पर भी कुछ कसर बाकी बची थी, तो वह पाकिस्तान ने पूरी कर दी.
VIDEO: मोहम्मद शमी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है. बता दें कि आईपीएल में हिस्सा लेने वाली हर टीम को एक बार इसके इस्तेमाल का मौका मिलेगा. सूत्रों ने बताया कि दरअसल पहली पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) में इस्तेमाल के कारण बीसीसीआई पर डीआरएस को लागू करने का और दबाव बढ़ गया था. पहले आईसीसी और अब पाकिस्तान के फैसले के बाद बीसीसीआई ने भी डीआरएस को हरी झंडी दिखा दी.