36 वर्ष के हुए महेंद्र सिंह धोनी, सवाल उठा- क्‍या वर्ल्‍डकप-2019 के लिए 'माही' हैं सही दावेदार?

महेंद्र सिंह धोनी अपने बेहतरीन करियर में 300 वनडे इंटरनेशनल मैच खेलने से सिर्फ चार मैच दूर हैं.

36 वर्ष के हुए महेंद्र सिंह धोनी, सवाल उठा- क्‍या वर्ल्‍डकप-2019 के लिए 'माही' हैं सही दावेदार?

उम्र बढ़ने के साथ अपनी बैटिंग से मैच फिनिश करने की एमएस धोनी की क्षमता पर सवाल उठे हैं (फाइल फोटो)

खास बातें

  • 300 वनडे खेलने से महज चार मैच दूर हैं महेंद्र सिंह धोनी
  • चौथे वनडे में बेहद धीमी पारी के बाद हुई थी आलोचना
  • मैच फिनिश करने की धोनी की क्षमता पर पड़ा है असर
नई दिल्ली:

आप अच्छा कर रहे हैं तो उम्र सिर्फ एक संख्या है लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो खेल में 36 बरस की उम्र हमेशा क्षमता को लेकर कुछ संदेह पैदा करती है. पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने बेहतरीन करियर में जब 300 वनडे इंटरनेशनल मैच खेलने से सिर्फ चार मैच दूर हैं तब वह दोराहे पर खड़े हैं. खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में शामिल धोनी ने अपने 13 साल के वनडे करियर की संभवत: सबसे बदतर पारी खेली जब वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 114 गेंद में 54 रन बनाए और टीम 190 रन के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई. नार्थ साउंड में खेली धोनी की इस पारी ने बेशक कुछ सवाल खड़े किए. कुछ सवालों के जवाब तो क्रिकेटप्रेमियों के पास मौजूद हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल का जवाब वह स्वयं ही दे सकते हैं.

सवाल यह है कि क्या 2019 विश्व कप में 38 साल की उम्र में वह भारत के लिए मैच जीत सकते हैं. इसका जवाब सिर्फ धोनी के पास है. हाल के समय में धोनी के बल्लेबाजी में संघर्ष करने से लगता है कि फिनिशर की उनकी क्षमता में गिरावट आई है. लेकिन अगर यह पूछा जाए कि क्या वह अब भी सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं जो इसका जवाब भी निश्चित तौर पर हां होगा.

सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारत के महान खिलाड़ियों में शामिल धोनी को लेकर यह अजीब सी स्थिति है. वह कुछ मैच जिता सकते हैं, विकेट के पीछे अपनी चपलता से वह शानदार हैं लेकिन क्या यह कप्तान कोहली को समझाने के लिए पर्याप्त होगा कि वह ब्रिटेन में होने वाले वर्ल्‍डकप से पूर्व उन्हें 45 मैच और खेलने का मौका दे. धोनी के पक्ष में जो चीज जाती है वह भारत का मजबूत बल्लेबाजी क्रम है. शीर्ष क्रम में कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन मौजूद हैं जबकि उनका साथ देने के लिए लोकेश राहुल और अजिंक्य रहाणे हैं और ऐसे में अधिकांश दिन धोनी की जरूरत नहीं पड़ेगी. अंतिम ओवरों में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के लिए हार्दिक पांड्या भी टीम में शामिल हैं.

समस्या यह है कि पांचवां और छठा क्रम काफी महत्वपूर्ण जिसमें विकेट पर टिकने का अधिक समय नहीं मिलता. धोनी मैदान पर उतरते ही बड़े छक्के जड़ने वाले खिलाड़ियों में शामिल नहीं रहे हैं लेकिन अब समस्या यह है कि वह एक-दो रन भी शुरुआत में नियमित तौर पर नहीं बना रहे हैं जिससे दबाव बन रहा है.कोहली हालांकि धोनी के अनुभव पर निर्भर रह सकते हैं. ऐसा नहीं है कि 36 साल के बाद क्रिकेटरों ने अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं किया. सचिन तेंदुलकर ने 2009-11 के बीच टेस्ट और वनडे दोनों में कुछ बेहतरीन पारियां खेली. धोनी के पास क्षमता और प्रतिभा है. लेकिन ऋषभ पंत जैसी युवा प्रतिभा उन पर दबाव बना रही है जिसे मौका मिलने का इंतजार है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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