सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली मुंबई में एक बुक लॉन्च के मौके पर मिले...
नई दिल्ली: भारत में 'क्रिकेट का भगवान' कहकर पुकारे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को जानने वाला कोई भी शख्स ऐसा नहीं होगा, जिसने उनके बालसखा विनोद कांबली का नाम न सुना हो... मास्टर ब्लास्टर और कांबली पहली बार 1988 में सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने स्कूल के लिए एक मैच खेलते हुए 664 रनों की साझेदारी कर डाली थी... इसके बाद धीरे-धीरे दोनों ही ऊपर उठते गए, और आखिरकार दोनों को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिल गई... फिर जहां सचिन ने चामत्कारिक प्रदर्शन से लगातार ऊपर की ओर सफर किया, वहीं अपनी फॉर्म और कन्सिस्टेंसी को बरकरार रखने में नाकाम रहे, और कहीं खो गए... इन दोनों के साथ मैदान पर भाग्य ने जो खेल खेला, संभवतः उसी की वजह से दोनों के रिश्तों में भी दूरियां पैदा हो गईं...
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लगभग आठ साल पहले विनोद कांबली ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान सचिन तेंदुलकर की यह कहकर आलोचना भी की थी कि उन्होंने कांबली के बुरे वक्त में कोई मदद नहीं की... इसका नतीजा यह हुआ कि न सिर्फ विनोद को तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट मैच, यानी फेयरवेल मैच में आमंत्रित नहीं किया गया, बल्कि सचिन की आत्मकथा में विनोद कांबली का ज़िक्र तक नहीं हुआ... बस, फिर क्या था, सभी ने मान लिया कि 'क्रिकेट जगत की लोककथाओं' में शुमार 'जय-वीरू' सरीखी इस जोड़ी के रिश्ते का पूरी तरह अंत हो गया है...
लेकिन अब हाल ही में मुंबई में ही एक बुक लॉन्च के मौके पर दोनों पुराने साथियों को एक साथ देखा गया...
इस लॉन्च पर तस्वीर में अपने बालसखा के साथ दिखने के बाद विनोद काफी खुश नज़र आए, और उन्होंने ट्वीट किया, 'मास्टर ब्लास्टर, आई लव यू...'
इसके बाद भी कांबली नहीं रुके, और उन्होंने अपने चाहने वालों को यह भी बतीयी कि यह तस्वीर उनकी और सचिन तेंदुलकर की पहली सेल्फी है...
सचमुच काफी खुश दिख रहे थे विनोद कांबली...
दिल को छू लेने वाली 'पुरानों यारों' की इस मुलाकात से ट्विटर भी झूम उठा, और ऐसे ट्वीट की झड़ी लग गई, जिनमें खुशी ज़ाहिर की गई, और दोनों को शुभकामनाएं दी गईं...
वैसे, बुक लॉन्च के इस मौके पर सचिन तेंदुलकर ने मौजूदा टीम इंडिया के कप्तान
विराट कोहली के बारे में कुछ दिलचस्प बातें भी कहीं... उन्होंने कहा, "टीम में आने के बाद से ही उनका (विराट कोहली का) एटीट्यूड कभी नहीं बदला है... मैंने उसी समय उनके भीतर एक स्पार्क महसूस किया था, जिसे बहुत-से लोग पसंद नहीं करते थे, और बहुत-से लोग इसी बात के लिए उनकी आलोचना भी किया करते थे..."
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सचिन तेंदुलकर ने कहा, "...और आज वही एटीट्यूड भारतीय टीम की ताकत बन गया है... वह (विराट कोहली) ज़्यादा नहीं बदला, लेकिन उनके आसपास के लोग बदल गए हैं... उनका एटीट्यूड सिर्फ उनके परफॉरमेंस की बदौलत बदला है, और यह किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत अहम होता है कि वह खुद को अभिव्यक्त करने की आज़ादी पा सके..."