यह ख़बर 04 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

पांच टेस्ट की शृंखला पहली बार खेलेगी धोनी एंड कंपनी...

भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए एक टेस्ट मैच का फाइल चित्र

खास बातें

  • इंग्लैंड अगले साल जुलाई-अगस्त में पांच टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम की मेजबानी करेगा। पिछले कुछ वर्षों में अमूमन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही एशेज शृंखला में पांच टेस्ट मैच होते रहे हैं, जबकि भारत ने वर्ष 2002 से ऐसी कोई शृंखला नहीं खेली है।
नई दिल्ली:

जब भारतीय क्रिकेट टीम अगले साल इंग्लैंड के दौरे पर जाएगी, तो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी समेत उनके लगभग सभी साथियों के नाम एक रिकॉर्ड जुड़ जाएगा, क्योंकि ये सभी खिलाड़ी अपने करियर में पहली बार पांच टेस्ट मैचों की शृंखला खेलने जा रहे हैं।

इंग्लैंड अगले साल जुलाई-अगस्त में पांच टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम की मेजबानी करेगा। पिछले कुछ वर्षों में अमूमन इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही एशेज शृंखला में पांच टेस्ट मैच होते रहे हैं, जबकि भारत ने वर्ष 2002 से ऐसी कोई शृंखला नहीं खेली है। इस तरह से यह महेंद्र सिंह धोनी के लिए भी नया अनुभव होगा, जिन्होंने अब तक 77 टेस्ट मैच खेल लिए हैं।

यही नहीं, 200वां टेस्ट मैच खेलने की दहलीज़ पर खड़े सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के करियर में केवल तीन बार पांच टेस्ट मैचों की शृंखलाएं खेली हैं। भारत के वर्तमान खिलाड़ियों में सचिन तेंदुलकर के अलावा केवल ज़हीर खान और हरभजन सिंह को पांच टेस्ट मैचों की शृंखला में खेलने का अनुभव हासिल है। भारत ने आखिरी बार पांच टेस्ट मैचों की शृंखला अप्रैल, 2002 में वेस्ट इंडीज दौरे पर खेली थी। उस शृंखला में सचिन तेंदुलकर के अलावा ज़हीर खान और हरभजन सिंह ने भी हिस्सा लिया था, जो अभी भारत की तरफ से खेल सकते हैं, हालांकि हरभजन सिंह शृंखला के केवल तीन मैचों में खेले थे।

भारत ने पिछले तीन दशक में केवल छह बार पांच टेस्ट मैचों की शृंखला खेली है और इन सभी में उसे हार मिली है। भारत को अब तक कुल 26 बार पांच टेस्ट मैचों की शृंखला खेलने का मौका मिला है और इनमें से वह केवल पांच में जीत दर्ज कर पाया। इसलिए यह कह सकते हैं कि भारतीय टीम पांच मैचों की शृंखला में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है।

भारत ने इसके अलावा छह ऐसी शृंखलाएं खेलीं, जिनमें टेस्ट मैचों की संख्या छह थी और दिलचस्प तथ्य यह है कि इनमें से चार शृंखलाओं में भारत ने जीत दर्ज की। यह अलग बात है कि ये चारों शृंखलाएं (वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ) उसने घरेलू जमीन पर खेली थीं। भारत ने आखिरी बार 1983-84 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपनी सरजमीन पर छह टेस्ट मैचों की शृंखला खेली थी, जिसमें उसे 0-3 से हार झेलनी पड़ी थी। इससे पहले पाकिस्तानी दौरे में भी उसे छह मैचों की शृंखला में इसी अंतर से हार मिली थी।

भारत ने पांच मैचों की आखिरी शृंखला 1972-73 में जीती थी। इंग्लैंड की टीम तब भारतीय दौरे पर आई थी और अजित वाडेकर की टीम ने कोलकाता और चेन्नई में मैच जीतकर शृंखला 2-1 से अपने नाम की थी। भारत ने इससे पहले वाडेकर की अगुवाई में ही वेस्ट इंडीज को उसकी सरजमीन पर 1-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। यह सुनील गावस्कर की पदार्पण शृंखला थी।

भारत ने पहली बार पांच मैचों की शृंखला वर्ष 1952 में पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सरजमीन पर जीती थी। उसने तब पाकिस्तान से 2-1 से हराया था। इसके बाद भारतीय टीम ने 1955-56 में न्यूजीलैंड को 2-0 और 1961-62 में इंग्लैंड को भी इसी अंतर से हराया था। इन दोनों शृंखलाओं की मेजबानी भारत ने की थी।

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इंग्लैंड ने पांच टेस्ट मैचों की शृंखला के लिए आखिरी बार भारत की मेजबानी वर्ष 1959 में की थी। उसने तब पांचों मैच जीतकर क्लीन स्वीप किया था। इन दोनों के बीच हालांकि इस तरह की आखिरी शृंखला 1984-85 में खेली गई थी। डेविड गॉवर की टीम ने भारत के उस दौरे में 2-1 से जीत दर्ज की थी। महेंद्र सिंह धोनी की टीम पर अब इन दोनों हार का बदला चुकता करने का जिम्मा होगा।