क्या धोनी के लिए आखिरी होगा यह वर्ल्ड कप?

महेंद्र सिंह धोनी की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

महेन्द्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में चार साल के अंदर दो बार टीम इंडिया को वर्ल्ड चैम्पियन बना दिया। साल 2007 में वर्ल्ड टी-20 और 2011 में वर्ल्ड चैम्पियन। चार साल बाद अब धोनी के सामने वर्ल्ड कप ख़िताब बचाना मिशन है, लेकिन इस बार चुनौती कहीं बड़ी है, न मैदान अपना है और न माहौल। टीम का हालिया प्रदर्शन भी भरोसा नहीं दिला पा रहा। 2011 वर्ल्ड कप चैम्पियन टीम के सिर्फ़ चार ही खिलाड़ी इस वर्ल्ड कप में खेलेंगे जो है विराट कोहली, सुरेश रैना, रविचंदन अश्विन और खुद कप्तान धोनी।

वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट का दबाव झेलना युवा और गैरअनुभवी खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं होगा। कार्लटन वनडे ट्राई सीरीज़ में करारी हार ने टीम की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लेकिन धोनी एक ऐसा जिद्दी शख़्स है जो कभी हार नहीं मानता। इस बार भी वे कह रहे हैं खुद पर यकीन करो।

महेंद्र सिंह धोनी कहते हैं, 'जहां तक आत्मविश्वास की बात है, हम इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि हमें अपनी योजना पर अमल लाने के लिए करना क्या है। हम इस हालात में पहले भी जा चुके हैं। हमें मालूम है कि तब हम कैसा महसूस करने लगते हैं, लेकिन इससे बाहर आना भी हम जानते हैं।'

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यह खुद पर भरोसा ही था जिसने रांची के एक लड़के को राज्य का राजकुमार और फिर देश का कप्तान बना दिया। सात साल के अंदर महेंद्र सिंह धोनी देश के सबसे कामयाब कप्तान और सबसे बड़े ब्रैंड बन गए। उनकी कप्तानी में टीम टेस्ट में भी वर्ल्ड नंबर-1 बनी। दो बार चन्नई सुपरकिंग्स आईपीएल चैम्पियन बनी और दो बार चैम्पियंस लीग टी-20 विजेता।

मगर अब 33 साल के धोनी को इस बात का अहसास हो गया है कि वक्त उनके हाथों से तेज़ी से फ़िसल रहा है। वहीं युवा टेस्ट कप्तान विराट कोहली का कद और करियर ग्राफ तेज़ी से बढ़ा है। धोनी के लिए विराट के साए तले अपने करियर को ज्यादा खींच पाना संभव नहीं होगा। पिछले दिसंबर में टेस्ट से अचानक संन्यास लेकर उन्होंने संदेश दे दिया कि फॉर्म और फिटनेस साथ न दें तो वह अलविदा कहने में हिचकेंगे नहीं।

तो एेसे में सवाल उठता है कि क्या यह महेंद्र सिंह धोनी का भी आख़िरी वर्ल्ड कप है? शायद हां। अब शायद यही ख्वाहिश है कि अलविदा कहें तो हाथ में वर्ल्ड कप हो।