यह ख़बर 14 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सचिन और भारत के नाम रहा पहला दिन

मुंबई:

क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर की विदाई शृंखला के अंतिम टेस्ट मैच के पहले दिन गुरुवार को वानखेड़े स्टेडियम में हर तरह का उतार-चढ़ाव देखने को मिला।

भारत ने जहां वेस्टइंडीज को 182 रनों पर समेटकर अच्छी शुरुआत के बाद दो लगातार झटके सहे, वहीं दर्शकों को नाबाद लौटने वाले सचिन और चेतेश्वर पुजारा की उम्दा बल्लेबाजी भी देखने को मिली। कैरेबियाई टीम के लिए दिन अच्छा नहीं रहा लेकिन भारत तथा सचिन के चहेतों के लिए यह दिन काफी सकारात्मक रहा।

भारतीय टीम ने दिन की समाप्ति तक दो विकेट पर 157 रन बनाए। सचिन 38 और पुजारा 34 पर नाबाद लौटे। दोनों तीसरे विकेट के लिए 80 रन जोड़ चुके हैं। अपने करियर का 200वां और अंतिम टेस्ट खेल रहे सचिन ने 73 गेंदों का सामना करते हुए छह चौके लगाए हैं।

सचिन का हर चौका दर्शकों के लिए आक्सीजन का काम करता। हर चौके के बाद वे और जोर से नारे लगाते और अगले चौके का इंतजार करते। सचिन का साथ दे रहे पुजारा भी कोलकाता टेस्ट की अपनी नाकामी को भुलाना चाहते हैं। पुजारा ने 49 गेंदों पर चार चौके लगाए हैं। भारत पहली पारी की तुलना में 25 रन पीछे है।

दर्शकों को उस समय भारी निराशा हाथ लगी थी, जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया लेकिन रविचंद्रन अश्विन (3 विकेट) और प्रज्ञान ओझा (5 विकेट) ने चायकाल से छह मिनट पहले वेस्टइंडीज की पहली पारी 182 रनों पर समेटकर दर्शकों की निराशा को आशा में बदल दिया।

सबको सचिन के विकेट पर आने का इंतजार था। मुरली विजय (43) और शिखर धवन (33) ने अच्छी शुरुआत कराई। दोनों काफी उम्दा खेल रहे थे। इन दोनों को देखकर नहीं लग रहा था कि सचिन को पहले दिन बल्लेबाजी के लिए आने का मौका मिलेगा लेकिन शेन शिलिंगफोर्ड ने पारी के 14वें ओवर की दूसरी गेंद पर धवन और फिर चौथी गेंद पर विजय को चलता कर सचिन के विकेट पर आने का रास्ता साफ किया।

धवन ने 28 गेंदों का सामना कर सात चौके लगाए। उनका विकेट 77 के कुल योग पर गिरा। इसके बाद इसी योग पर विजय का विकेट भी गिर गया। विजय ने 55 गेंदों पर आठ चौके लगाए।

सचिन बल्लेबाजी करने आए तो वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद हर एक दर्शक, मीडियाकर्मी और कैरेबियाई टीम के सदस्यों ने उन्हें खड़े होकर सम्मान दिया। सचिन ने सीढ़ियां उतरते हुए मैदान का रुख किया और मैदान में घुसते ही आसमान की तरफ देखकर आंख बंद कर लिए। इसके बाद वह विकेट की ओर चल पड़े। यह वह क्षण था, जब स्टेडियम में मौजूद सभी लोग अपने स्थान पर खड़े होकर सचिन को सम्मान दे रहे थे।

कैरेबियाई टीम ने सचिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया और सचिन उनके बीच से होते हुए विकेट पर पहुंचे। माननीय बालासाहेब ठाकरे मीडिया कक्ष में मौजूद 200 से अधिक पत्रकार भी अपने स्थान पर खड़े होकर सचिन को सम्मान दे रहे थे।

वैसे तो पूरे स्टेडियम में सचिन के प्रवेश पर उत्साह था लेकिन प्रेस बॉक्स के दाहिनी ओर स्थित सचिन तेंदुलकर स्टैंड में यह उत्साह कुछ अधिक था, क्योंकि यहां सचिन का सबसे बड़ा प्रशंसक सुधीर कुमार गौतम क्रिकेट के इस देवता के लिए तिरंगा लहराते हुए शंखनाद कर रहा था।

पूरा स्टेडियम 'सचिन-सचिन' के नारे लगा रहा था। जो लोग सचिन की बैटिंग देखने के लिए धोनी के पहले गेंदबाजी के फैसले को कोस रहे थे, अब वे अपने स्थान पर चिपक चुके थे और नारे लगा रहे थे।

विकेट पर आने के बाद सचिन ने धीरे-धीरे पैर जमाने शुरू किए और फिर पुजारा के साथ भारत के स्कोर को 18.4 ओवरों में 100 और फिर 31.1 ओवरो में 150 के पार पहुंचाया। दर्शक सचिन के हर शॉट पर तालियां बजाते, तिरंगा लहराते और नारे लगाते।

सचिन का खेल देखने उनकी मां रजनी सहित पूरा परिवार और गुरु रमाकांत आचरेकर वानखेड़े स्टेडियम पहुंचे। अंजलि ने लिफ्ट के जरिए मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) पवेलियन का रुख किया।

दिन के खेल के अंत के समय टेलीविजन कैमरों ने सचिन के परिवार पर फोकस किया। रजनी तो खुद को धीर-गंभीर बनाए रखने में सफल रहीं लेकिन सचिन की मां ने स्टेडियम में लगे बड़े स्क्रीन पर खुद को देखते ही दांतों तले जीभ दबा लिया।

इससे पहले, भारत ने टॉस जीता और गेंदबाजी का फैसला किया और मेहमान टीम को 182 पर ढेर कर दिया। वेस्टइंडीज ने 25 रन के कुल योग पर क्रिस गेल (11) का विकेट गंवाया। दूसरे विकेट के लिए डारेन ब्रावो (29) और कीरन पॉवेल (48) ने 61 रन जोड़े, जो कैरेबियाई टीम के लिए सबसे बड़ी साझेदारी साबित हुई।

इसके बाद अश्विन और ओझा ने अपनी फिरकी के जरिए मेहमान टीम को ऐसा उलझाया कि वह 182 पर ढेर हो गई। अश्विन ने तीन विकेटों के साथ 100 का आंकड़ा छुआ। वह भारत के लिए 100 विकेट लेने वाले 19वें गेंदबाज हैं। अश्विन ने सबसे तेजी से भारत की ओर से 100 विकेट लेने का कीर्तिमान भी रचा।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

ओझा को कोलकाता टेस्ट में आशातीत सफलता नहीं मिली थी लेकिन इस मैच में उन्होंने इसकी भरपाई करते हुए पांच विकेट झटके और अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाने के काम किया। ओझा ने छठी बार पारी में पांच विकेट लिए।