Nidahas trophy final: इस भारतीय गेंदबाज के खिलाफ बांग्लादेशी तेवर दिखाएं, तो जानें!, सामने है 'सबसे बड़ा चैलेंज'

इसमें कोई दो राय नहीं कि इस टूर्नामेंट में बांग्लादेशियों का एक अलग ही रूप देखने को मिला है. लेकिन आज उनकी सकारात्मक आक्रामकता की परीक्षा का टेस्ट होगा

Nidahas trophy final: इस भारतीय गेंदबाज के खिलाफ बांग्लादेशी तेवर दिखाएं, तो जानें!, सामने है 'सबसे बड़ा चैलेंज'

वॉशिंगटन सुंदर

खास बातें

  • यह इकॉनमी रेट कुछ कहता है !
  • यह सुदंका का पावर-प्ले है!
  • बांग्लादेशियों को सुंदर का 'पावर-प्ले चैलेंज'
नई दिल्ली:

निधास टी20 ट्रॉफी में बांग्लादेश टीम के आक्रामक तेवर चर्चा का विषय बने हुए हैं. बीच मैदान पर मुश्फिकुर रहीम और महमूदुल्लाह के तेवर सभी ने देखे, तो पिछले मैच में पूरी दुनिया ने उसके एक्स्ट्रा प्लेयर नुरुल हसन सहित पूरी टीम की नकारात्मक आक्रामकता को भी देखा. इसमें दो राय नहीं कि यह आक्रामकता टीम इंडिया के खिलाफ फाइनल में अंतर पैदा करेगी. इस तमाम आक्रामकता का असर सकारात्मक होगा या नकारात्मक, यह एक अलग बात है, लेकिन एक बात साफ है कि बांग्लादेशियों के लिए वॉशिंगटन सुंदर से पार पाना बिल्कुल भी आसान होने नहीं जा रहा, जिसने टूर्नामेंट में दिग्गज बल्लेबाजों के मुंह की बोलती बंद कर दी. 


वनडे क्रिकेट की तरह ही टी-20 में पावर-प्ले का (शुरुआती 6 ओवर) के खेल के भारतीय उपमहाद्वीप की पिचों पर बहुत ही ज्यादा मायने हैं. सभी ने यह देखा है कि भारत के उदीयमान गेंदबाज और सिर्फ 18 साल के ऑफ स्पिनर वॉशिंगटन सुंदर ने कैसे अपनी गेंदों से बड़े-बड़े आक्रामक बल्लेबाज के बल्ले की बोलती बंद कर दी. हम आपको इसका सबूत भी देंगे कि कैसे वॉशिंगटन सुंदर पावर-प्ले के 'बाहुबली' बन गए हैं. 

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बता दें कि वॉशिंगटन सुंदर टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. सुंदर अभी तक 7 विकेट चटकाकर मैन ऑफ द सीरीज के प्रबल दावेदावों में शामिल हैं. उन्होंने पिछले चार मैचों में 16 ओवर गेंदबाजी की. इन ओवरों उनके खिलाफ सिर्फ 8 चौके और 3 छक्के ही लगे. वहीं उनका इकॉनमी रेट सिर्फ 5.87 का ही रहा है, लेकिन इसमें एक खास बात रही, जो साफ बता गई कि वॉशिंगटन सुंदर का वास्तव में कोई जवाब कोई क्यों नहीं है. 

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दरअसल वॉशिंगटन सुंदर ने फेंके 16 ओवरों में से 11 ओवर की गेंदबाजी पावर-प्ले के दौरान की. मतलब यह ओवर तब फैंके गए, जब तीस गज के घेरे के बाहर सिर्फ दो ही फील्डरों की तैनाती होती है. लेकिन इसके बावजूद बल्लेबाजों को उन्होंने आजादी नहीं लेने दी. और यहां आंकड़ा और सुंदर का इकॉनमी रेट बांग्लादेशी बल्लेबाजों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है. अब देखते हैं कि नई 'आक्राकमता से सजी' बांग्लादेशी टीम भेद पाती है, या नहीं

 

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