कोलंबो: चेतेश्वर पुजारा ने कोलंबो टेस्ट के दूसरे दिन अपने शानदार शतक से इस बहस को खारिज कर दिया है कि रोहित शर्मा और उनमें कौन बेहतर टेस्ट खिलाड़ी है।
रोहित को बार-बार मौके दिए जाने पर कप्तान विराट कोहली और टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री जो दलीलें दिए जा रहे थे, वे खोखली साबित हुईं। अब तो बात यह होने लगी है कि अगर गॉल टेस्ट में पुजारा खेलते तो शायद वह मैच भारत हारता ही नहीं और 22 साल बाद श्रीलंका में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना दूसरे ही टेस्ट में ही पूरा हो जाता। सवाल यह भी है कि बीसीसीआई कुछ खिलाड़ियों को सिर्फ टेस्ट के लिए क्यों नहीं रखता? रोहित शर्मा जैसे वनडे में अच्छा कर रहे खिलाड़ियों को सिर्फ वनडे में ही मौका देने का वक्त आ गया है। बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर संकेत दे चुके हैं कि टेस्ट और सीमित ओवर मैच के लिए अलग-अलग कोच बनाए जा सकते हैं, तो फिर टीम चुनते समय इस बात का ख्याल क्यों न रखा जाए? रोहित को टीम में फिट करने के लिए मैनेजमेंट ने बल्लेबाजी क्रम से छेड़छाड़ किया। मजे की बात है कि दूसरे खिलाड़ी नए बैटिंग ऑर्डर में भी फिट होते चले गए, जबकि रोहित न तो नंबर 3 पर चल पाए और न ही नंबर 5 पर कोई करिश्माई प्रदर्शन कर पाए। अब तक उन्होंने श्रीलंका में 9, 4, 79, 34 और 26 रनों की पारी खेली है।
वहीं पुजारा के लिए पिछले 16 महीने बेहद खराब रहे। इस दौरान न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में खेली गई तीन सीरीज की 20 पारियों में उनका औसत 24.15 तक जा गिरा जबकि नवंबर 2012 से मार्च 2013 तक उन्होंने 101.5 के औसत से बल्लेबाजी की थी। मुरली विजय और शिखर धवन की चोट पुजारा के लिए मौका बन कर आई और उन्होंने इसे भुना भी लिया। 27 साल के सौराष्ट्र के इस बल्लेबाज के लिए शायद अब पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
कोहली की कमजोरी
पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर का कहना है कि विराट कोहली और महान बल्लेबाजी के बीच एक बाधा है- सीमिंग पिच पर ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद। उन्होंने ट्वीट कर अपनी राय जाहिर की।
दरअसल कोलंबो के एसएससी यानी सिंहलीज स्पोर्ट्स क्लब ग्राउंड पर खेले जा रहे आखिरी टेस्ट के दूसरे दिन कोहली सुबह से ही क्रीज पर असहज नजर आ रहे थे। दिन के पहले ही ओवर में धम्मिका प्रसाद ने उन्हें दो बार जबर्दस्त चकमा दिया। कोहली भाग्यशाली रहे कि अंपायर ने दोनों बार एलबीडब्लू की अपील खारिज कर दी, लेकिन कोहली ज्यादा देर तक नहीं टिक पाए। दिन के नौवें ओवर में कप्तान ने कप्तान का काम तमाम कर दिया। ऑफ स्टंप के बाहर जा रही गेंद को छेड़ने की अपनी पुरानी गलती को कोहली फिर दोहरा गए। नतीजा एंजेलो मैथ्यूज की गेंद को लपकने में विकेटकीपर कुसल परेरा ने कोई गलती नहीं की।
पिछले साल इंग्लैंड के दौरे पर जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड ने कोहली की इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाया था। तब कोहली 5 टेस्ट में 13 की औसत से सिर्फ 134 रन बना पाए थे। परेशान कोहली पिछले सितंबर में सचिन तेंदुलकर से सलाह लेने मुंबई गए थे। एमसीए के इंडोर नेट्स में सचिन ने उन्हें घंटों तकनीक सिखाई। मगर लगता है कि भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली को अपनी इस कमजोरी को दुरुस्त करने के लिए अब भी बहुत काम करने की जरूरत है।