अब अजय रात्रा बोले, यह सचिन थे, जिन्होंने सहवाग को बतौर ओपनर जमने दिया

26 जुलाई सल 2001 को न्यूजीलैंड के खिलाफ ट्राई सीरीज के तीसरे मैच में गांगुली ने जुआ खेला और सहवाग को प्रमोट कर पहली बार ओपनर बना दिया. यह मैच भारत हार गया था, लेकिन सहवाग ने टीम के लिए सबसे ज्यादा 54 गेंदों पर 33 रन बनाए थे.

अब अजय रात्रा बोले, यह सचिन थे, जिन्होंने सहवाग को बतौर ओपनर जमने दिया

वीरेंद्र सहवाग की फाइल फोटो

खास बातें

  • दिल्ली के लिए हमेशा मिड्ल ऑर्डर खेले सहवाग
  • सहवाग ने सचिन और सौरव के साथ भी शुरू की पारी
  • ...फिर सचिन ने लिया यह बड़ा फैसला
नई दिल्ली:

भारत के पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा ने कहा है कि वीरेंद्र सहवाग के ओपनर बनने का श्रेय सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली को बराबर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उस समय  बतौर ओपनर सचिन बहुत ही अच्छा कर रहे थे, लेकिन सहवाग को ओपन करना था. ऐसे में सचिन ने सहवाग के लिए रास्ता निकाला. रात्रा ने कहा कि अगर सचिन राजी नहीं होते, तो  सहवाग पारी की शुरुआत नहीं कर पाते, लेकिन सचिन ने वीरू के लिए जगह बनाते हुए खुद नंबर-4 पर खेलने का प्रस्ताव रखा. इसके बाद सहवाग और दादा ने दाएं और बाएं का कॉम्बिनेशन की शुरुआत करते हुए पारी शुरू की. सचिन के राजी न होने पर सहवाग को कभी भी पारी शुरू करने का मौका नहीं मिलता और फिर एक अलग ही कहानी हो सकती थी. 

सचिन को तब चोट लगी थी और श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ कुछ मैच हारने के बाद भारत के लिए हालात विपरीत हो रहे थे. युवराज सिंह और अमय खुरेसिया को टॉप ऑर्डर पर खिलाने का फैसला उल्टा पड़ा. और दिल्ली के लिए समूचे करियर में मिड्ल ऑर्डर में खेलने वाले सहवाग का मिड्ल ऑर्डर में भारत के लिए खेलना संतोषजनक नहीं था. 26 जुलाई सल 2001 को न्यूजीलैंड के खिलाफ ट्राई सीरीज के तीसरे मैच में गांगुली ने जुआ खेला और सहवाग को प्रमोट कर पहली बार ओपनर बना दिया. यह मैच भारत हार गया था, लेकिन सहवाग ने टीम के लिए सबसे ज्यादा 54 गेंदों पर 33 रन बनाए थे. इसके बाद सहवाग दो बार नाकाम हुए, लेकिन अगले मैच में सहवाग ने 70 गेंदों पर आतिशी शतक बनाया और न्यूजीलैंड के खिलाफ सहवाग का बतौर ओपनर जन्म हुआ.

रात्रा ने कहा कि बाद में सचिन ने खुद के लिए अलग भूमिका चुनी. सचिन नंबर-4 पर बैटिंग के लिए राजी हो गए. ऐसा उन्होंने टीम हित मे किया. सचिन की भूमिका तब 45वें ओवर तक बैटिंग करने की होती थी और यह फैसला कारगर रहा. वीरू ने बतौर ओपनर अच्छी सफलता हासिल की. पूर्व विकेटकीपर ने कहा कि कई बार वीरू को गैरपारंपरिक कहा गया, लेकिन अगर उसके नैसर्गिक काबिलियत पर रोक लगा दी जाती, तो कहानी एकदम अलग हो सकती थी. ऐसे में वीरू को अपने शॉट खेलने की आजादी थी. खिलाड़ियों को सपोर्ट करना बहुत ही अहम बात होती है. हां, जब सहवाग खराब शॉट खेलते थे, तो लोग उन्हें सलाह दिया करते थे, लेकिन उनसे कभी भी अपने खेल में बदलाव लाने को नहीं कहा गया. साल 2001 से लेक 2007 तक सहवाग को मौका देने के लिए सचिन ने 19 बार सहवाग को पारी शुरू करने जाने दिया. 

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