खास बातें
- भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण बीसीसीआई महिला विश्वकप की मेजबानी मुंबई में करने में थोड़ी हिचक रही है, जिससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष जका अशरफ ने भी सुझाव दिया है कि पूरा विश्वकप टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया जाए।
नई दिल्ली: भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के कारण बीसीसीआई महिला विश्वकप की मेजबानी मुंबई में करने में थोड़ी हिचक रही है, जिससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष जका अशरफ ने भी सुझाव दिया है कि पूरा विश्वकप टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया जाए।
अशरफ ने कहा, ‘‘महिला विश्वकप आईसीसी टूर्नामेंट है और अगर भारत में सुरक्षा अच्छी नहीं होती है तो विश्व संचालन संस्था को इसे तटस्थ स्थल जैसे दक्षिण अफ्रीका या कहीं और आयोजित कराना चाहिए।’’ अशरफ ने एक चैनल से कहा, ‘‘मैं आईसीसी पर यह फैसला छोड़ता हूं। पूरे टूर्नामेंट को ही तटस्थ स्थल पर कराना चाहिए, कुछ मैच किसी अन्य देश में और बाकी के मैच अन्य देश में नहीं हो सकते। अगर भारत में इनका आयोजन होता है तो उचित सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए, वर्ना इसे कहीं और आयोजित किया जा सकता है।’’
पीसीबी प्रमुख ने जोर दिया कि अगर पाकिस्तानी महिला टीम को भारत सुरक्षा नहीं मुहैया करा सकता तो दक्षिण अफ्रीका बेहतर विकल्प हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आईसीसी अब भी विकल्पों पर विचार कर रहा है और ऐसे स्थल देख रहा है जहां क्रिकेट खेला जा सकता है। दक्षिण अफ्रीका अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि वहां मौसम और ढांचा भी अच्छा है तथा घरेलू स्तर पर उनका क्रिकेट काफी मजबूत है।’’
यह पूछने पर कि वह टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में आयोजित कराने के लिए आतुर क्यों हैं तो अशरफ ने कहा, ‘‘मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। पहला विकल्प भारत ही होना चाहिए लेकिन अगर बीसीसीआई इसकी मेजबानी नहीं कर पाता है तो मैं कह रहा हूं कि दूसरा विकल्प दक्षिण अफ्रीका हो सकता है।’’
उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के मैच मुंबई के अलावा अन्य शहरों में कराये जाने के विचार से सहमत है, जहां खिलाड़ियों को सुरक्षा मिले।
अशरफ ने कहा, ‘‘इसमें कोई समस्या नहीं है। जहां तक सुरक्षा का संबंध है तो अगर बीसीसीआई इन जगहों पर सुरक्षा मुहैया करा सकता है तो सब ठीक है।’’ ऐसी भी रिपोर्टें आ रही हैं कि आईसीसी शायद टूर्नामेंट पाकिस्तानी टीम के बिना भी करवा सकता है तो अशरफ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और मुझे नहीं लगता कि आईसीसी ऐसा कह सकता है।’’