बर्थडे: क्रिकेट के अलावा घुड़सवारी और तलवारबाजी में भी माहिर हैं 'सर' जडेजा, जानें 6 खास बातें

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज रवींद्र जडेजा बुधवार को 29 वर्ष के हो गए. ऑलराउंडर की हैसियत से भारतीय टीम में खेलने वाले जडेजा को मैदान के बाहर भी अपनी चमक-दमक वाली स्‍टाइल के लिए जाना जाता है.

बर्थडे: क्रिकेट के अलावा घुड़सवारी और तलवारबाजी में भी माहिर हैं 'सर' जडेजा, जानें 6 खास बातें

रवींद्र जडेजा को एमएस धोनी ने 'सर जडेजा' का संबोधन दिया था (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कई बार बल्‍ले को तलवार की तरह भांजते देखे जा चुके हैं
  • खाली वक्‍त मिलने पर घुड़सवारी करते निकल जाते हैं
  • उतार-चढ़ाव से भरपूर रहा है जडेजा का क्रिकेट करियर

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज रवींद्र जडेजा बुधवार को 29 वर्ष के हो गए. ऑलराउंडर की हैसियत से भारतीय टीम में खेलने वाले जडेजा को मैदान के बाहर भी अपनी चमक-दमक वाली स्‍टाइल के लिए जाना जाता है. 6 दिसंबर 1988 को गुजरात में जन्‍मे जड्डू को घुड़सवारी और तलवारबाजी का शौक है. मैदान पर कई बार अर्धशतकीय पारी खेलने के बाद उन्‍हें बल्‍ले को तलवार की तरह भांजते हुए देखा जा चुका है. जडेजा अपने फॉर्म हाउस में कई घोड़े रखते हुए है और खाली वक्‍त मिलने पर घुड़सवारी करने निकल जाते हैं. टेस्‍ट क्रिकेट के नंबर एक बॉलर और ऑलराउंडर रह चुके जडेजा का क्रिकेट करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. एक समय यह कहा जाता था कि महेंद्र सिंह धोनी (तत्‍कालीन कप्‍तान) की बदौलत ही वे भारतीय टीम में स्‍थान बनाने में सफल होते हैं. लेकिन जडेजा ने अपने शानदार प्रदर्शन से आलोचकों को करारा जवाब दिया है.

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गेंदबाजी और बल्‍लेबाजी, दोनों में ही वे टीम के लिए अहम योगदान देने में सफल होते हैं. जडेजा की गेंदबाजी की सबसे बड़ी बात यह है कि वे बेहद सटीक होते हैं और बल्‍लेबाज को कोई मौका नहीं देते. फील्डिंग में वे कुशल हैं. उन्‍हें मौजूदा टीम इंडिया के सर्वश्रेष्‍ठ फील्‍डरों में शुमार किया जा सकता है. जडेजा ने टीम इंडिया के लिए 34 टेस्‍ट (दिल्‍ली टेस्‍ट के पहले तक), 136 वनडे और 40 टी20 मैच खेले हैं. टेस्‍ट क्रिकेट में 1187 रन और 160 विकेट, वनडे में 1914 रन और 155 विकेट तथा टी 20 में 116 रन और 31 विकेट उनके नाम पर दर्ज हैं. ऑस्‍ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वॉर्न भी जडेजा से बेहद प्रभावित हैं. आईपीएल के दौरान उन्‍होंने जडेजा को 'रॉकस्‍टार' का संबोधन दिया था. वर्ष 2016 में जडेजा का विवाह रीवा से हुआ था. आइए जानते हैं जडेजा की जिंदगी से जुड़ी 6 बातें...

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मां की मौत का सदमा, छोड़ने वाले थे क्रिकेट
रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में वॉचमैन थे.परिवार की आय कुछ खास नहीं थी. फिर भी परिवार ने जडेजा के क्रिकेट के शौक को पूरा करने के लिए भरपूर मदद की. उन्होंने क्रिकेटर बनने के सपने को संजोना शुरू ही किया था कि 2005 में उनकी मां लता की एक दुर्घटना में मौत हो गई. इसके बाद वह क्रिकेट छोड़ने पर विचार करने लगे थे. हालांकि बाद में उन्होंने परिवार और दोस्तों की समझाइश के बाद फिर से क्रिकेट खेलना शुरू किया और शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत की ओर से खेलने का गौरव हासिल कर लिया.
 
दिलीप ट्रॉफी में मिला मौका, अंडर-19 वर्ल्ड कप भी खेले
जडेजा ने 2006-07 में दिलीप ट्रॉफी से अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरू किया. वह रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र के लिए खेलते हैं. इसके बाद उन्हें 2006 और 2008 में भारत की ओर से अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेलने का भी अवसर मिला. उन्होंने बॉलिंग और फील्डिंग से अंडर-19 वर्ल्ड कप 2008 जीतने में अहम भूमिका निभाई.

आईपीएल-2008 में छोड़ी छाप, बने ‘रॉकस्टार’
जडेजा के करियर में उस समय नया मोड़ आया जब उन्हें आईपीएल के पहले सीजन (2008) में खेलने का मौका मिला. उन्हें राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा और उसके कप्तान शेन वॉर्न ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर आगे बढ़ाया. वॉर्न ने उन्हें रॉकस्टार का नाम भी दिया. इस सीजन में जडेजा के बल्ले से 14 मैचों में 135 रन निकले और उनका स्ट्राइक रेट 131.06 रहा. इस सीजन के फाइनल में उन्होंने अपनी टीम को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आईपीएल 2009 में उन्होंने 13 मैचों में 6 विकेट लिए और 295 रन बनाए.आईपीएल में जडेजा के करियर को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उन्हें आईपीएल सीजन-3 (2010) में एक साल के लिए बैन कर दिया गया. दरअसल उन पर नियम तोड़कर दूसरी फ्रेंचाइजी से संपर्क करने का दोषी पाया गया था.
 
मिला टीम इंडिया का टिकट, प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं हुई पक्की
फरवरी, 2009 में जडेजा को श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में पहली बार टीम इंडिया की ओर से वनडे में खेलने का मौका मिला. जडेजा को कई मौके मिले, लेकिन फिर भी वह प्लेइंग इलेवन में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके. दरअसल उन पर यह तमगा लग गया कि वह लंबे शॉट नहीं खेल पाते. जडेजा लगभग दो साल तक टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे, लेकिन बड़ी सफलता नहीं मिली. इस बीच 2012 में धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने 9.72 करोड़ रुपए की बोली लगाकर उन्हें लिया था.
 
टेस्ट डेब्यू, जगह की पक्की
जडेजा ने दिसंबर, 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में टेस्ट में डेब्यू किया था लेकिन उन्हें वास्तविक पहचान 2013 के ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे में मिली. जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज के 4 टेस्ट मैचों में सिर्फ 17.45 की औसत से 24 विकेट झटके. 58 रन देकर 5 विकेट उनका बेस्ट रहा. यहीं से कप्तान धोनी ने उन्हें 'सर जडेजा' कहना शुरू कर दिया. उन्होंने 16 टेस्ट में अभी तक 68 विकेट लिए हैं और 473 रन बनाए हैं लेकिन इसके बाद विदेशी धरती पर उनका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और बांग्लादेश के खिलाफ जून, 2015 में वनडे सीरीज के बाद उनको खराब प्रदर्शन के कारण वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था. वह लगभग 14 महीने टेस्ट टीम से भी बाहर रहे.

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लंबे समय तक नहीं लगाया था गेंद-बल्‍ले को हाथ
जडेजा ने टीम से बाहर रहने के दौरान न तो बैट को हाथ लगाया और न ही बॉल को. उन्होंने अपना सारा समय दोस्तों और घोड़ों के साथ बिताया. उनका मानना है कि इससे उनमें आत्मविश्वास आया और इसी वजह से वे रणजी में अच्छा प्रदर्शन कर सके. दिसंबर 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की 3-0 से जीत में आर. अश्विन और रवींद्र जडेजा का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 4 मैचों में 23 विकेट लेकर शानदार वापसी की. इसके बाद तो जडेजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे भारतीय टेस्‍ट टीम के नियमित सदस्‍य बन चुके हैं. हालांकि भारतीय वनडे और टी20 टीम में फिर स्‍थान बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती है...


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