यह ख़बर 17 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

पुणे प्रबंधन को कभी नहीं लगा, युवी में कप्तान बनने की क्षमता है : सौरव गांगुली

खास बातें

  • सौरव गांगुली ने एक क्षेत्रीय टीवी चैनल से कहा, प्रबंधन ने हमारे पहले सत्र (वर्ष 2011) के बाद युवराज को दोबारा कप्तान नहीं बनाने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें लगा कि उसमें कप्तान बनने की क्षमता नहीं है।
कोलकाता:

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने खुलासा किया कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2011 में पुणे वॉरियर्स टीम के लचर प्रदर्शन के कारण नीचे से दूसरे स्थान पर रहने के बाद टीम प्रबंधन ने कभी नहीं सोचा कि युवराज सिंह में कप्तान बनने की क्षमता है। सौरव का मानना है कि यही कारण रहा कि एंजेलो मैथ्यूज़ और रॉस टेलर को कप्तान के रूप में युवराज सिंह पर प्राथमिकता दी गई।

सौरव गांगुली ने एक क्षेत्रीय टीवी चैनल से कहा, प्रबंधन ने हमारे पहले सत्र (वर्ष 2011 में पुणे वॉरियर्स 10 टीमों में नौवें स्थान पर रही थी) के बाद युवराज को दोबारा कप्तान नहीं बनाने का फैसला किया। उन्हें लगा कि उसमें कप्तान बनने की क्षमता नहीं है।

मैथ्यूज़ को मंगलवार को अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया गया और टेलर तीन सत्रों में फ्रेंचाइजी के पांचवें कप्तान बने और टीम ने चेन्नई सुपर किंग्स पर 24 रन से जीत दर्ज की। मैथ्यूज़ के विकल्प के तौर पर आए स्टीवन स्मिथ ने नाबाद 39 रनों की पारी खेलकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई।

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सौरव गांगुली का मानना है कि टीम को भविष्य में इसी अंतिम एकादश को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा, टीम संतुलित नजर आई। डिंडा ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि राहुल शर्मा भी शानदार था। फिंच, टेलर, स्मिथ और मार्श के रूप में विदेशी खिलाड़ी संतुलित इकाई लगे। गांगुली ने कहा, अगर सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ होने वाले अगले मैच में पुणे वॉरियर्स अपने संयोजन में बदलाव करते हैं, तो मुझे हैरानी होगी।