कोच रमाकांत आचरेकर ने भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी दिया (फाइल फोटो)
खास बातें
- अभ्यास के बजाय मैच खिलाने को देते थे तरजीह
- कहते थे, प्रैक्टिस कम करो, मैच ज्यादा खेलो
- मैच के कारण खेल में आता है प्रतिस्पर्धा का भाव
कोच रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar)का भारतीय क्रिकेट हमेशा ऋणी रहेगा. बेहतरीन कोच आचरेकर ने भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के रूप में वह 'कोहिनूर' दिया जिसने अपनी चकाचौंध से खेल को नए मायने दिए. दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अगर आचरेकर नहीं होते तो शायद भारतीय क्रिकेट को वैसा सचिन नहीं मिलता जिसने अपने खेलकौशल से पूरी दुनिया के दिल पर राज किया. कोच रमाकांत आचरेकर ने कम उम्र में ही सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की प्रतिभा को भांप लिया था. उन्होंने न केवल इस प्रतिभा को तराशा बल्कि नन्हे सचिन को हमेशा अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाया. इसके लिए उन्होंने सचिन को कभी-कभी फटकार भी लगाई. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को फटकार लगाने वाला वह शख्स अब इस दुनिया में नहीं रहा. सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर का बुधवार को निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे.
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द्रोणाचार्य अवार्डी अचरेकर का हमेशा से मानना रहा कि खेल कौशल के धनी कोई भी खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को तभी दुनिया के सामने ला सकता है जब वह अनुशासित रहे. सचिन और विनोद कांबली ने शारदाश्रम स्कूल के लिए कई बड़ी पारियां खेलीं तभी से आचरेकर ने इन दोनों की प्रतिभा को खास मान लिया था. उन्होंने अपने इन दोनों शिष्यों के खेल को सुधारने के साथ-साथ इन्हें अनुशासित रहने का पाठ भी पढ़ाया. कोच आचरेकर का मानना था कि उनके कई शिष्य प्रतिभा के मामले में सचिन के बराबर या उससे बेहतर थे लेकिन अनुशासन ने सचिन के करियर को ऊंचाई पर पहुंचाया. कोच की ओर से दिए गए अनुशासन के इस 'पाठ' को सचिन ने हमेशा याद रखा.
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शिवाजी पार्क में रमाकांत आचरेकर से कोचिंग लेने वाले सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, चंद्रकांत पंडित, लालचंद राजपूत, प्रवीण आमरे और अजीत आगरकर जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम की ओर से खेले. घरेलू क्रिकेट में मुंबई की ओर से खेलने वाले उनके शिष्यों की संख्या को अच्छी खासी रही. 'आचरेकर सर' की कोचिंग का तरीका दूसरे कोचों से कुछ अलग था. भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके चंद्रकांत पंडित ने एक बार बातचीत के दौरान बताया था कि आचरेकर सर का प्रैक्टिस से अधिक जोर मैच खेलने पर होता था. पंडित के अनुसार, आचरेकर सर कहते थे कि प्रैक्टिस कम करो, मैच ज्यादा खेलो. उनका कहना था कि मैच खेलने से किसी भी खिलाड़ी के खेल में प्रतिस्पर्धा का भाव आता है और ऐसे माहौल में ही उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सामने आता है. हर सप्ताह वे एक-दो मैच जरूर आयोजित कराते थे. यदि ऐसा संभव नहीं हो पाता था तो वे अपने पास ट्रेनिंग लेने वाले क्रिकेटरों की ही दो टीमें बनाकर उनके मैच कराते थे.पंडित भी आचरेकर के शिष्य रह चुके हैं. आचरेकर की कोच के तौर पर यह भी खासियत रही कि वे जिसे योग्य नहीं मानते उसे वह क्रिकेट की तालीम नहीं देते थे.
सचिन (Sachin Tendulkar) को कोच होने के कारण रमाकांत आचरेकर को काफी शोहरत मिली. इसके बावजूद लोगों के बीच उनकी पहचान शांत और कम लेकिन पते की बात करने वाले शख्स के रूप के रूप में ही रही. शोहरत मिलने के बाद भी आचरेकर सर ने अपनी 'जमीन' नहीं छोड़ी और यही उनकी खासियत रही.
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सचिन तेंदुलकर ने एक बार बताया था कि उन्हें प्रैक्टिस मिस करने के लिए आचरेकर सर का थप्पड़ खाना पड़ा था.सचिन के अनुसार, ‘मैं अपने स्कूल (शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल) की जूनियर टीम से खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम (मुंबई) में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी. उसी दिन आचरेकर सर ने मेरे लिए प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था. उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा था. सर ने कहा था, ‘मैंने उस टीम के कप्तान से बात की है, तुम्हें चौथे नंबर पर बैटिंग करनी है.' दूसरी ओर सचिन का ध्यान अपने स्कूल की सीनियर टीम के मैच पर लगा हुआ था. सचिन ने बताया, ‘मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम सीनियर टीम का मैच देखने जा पहुंचा. मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चीयर कर रहा था. खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा. मैंने उन्हें नमस्ते किया. अचानक सर ने मुझसे पूछा कि आज तुमने कितने रन बनाए? मैंने जवाब में कहा-सर, मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं. यह सुनते ही, आचरेकर सर ने सबके सामने मुझे एक थप्पड़ लगाया.'इसके बाद आचरेकर सर ने वह नसीहत दी जिसने सचिन तेंदुलकर की जिंदगी बदलकर रख दी. सचिन तेंदुलकर के अनुसार, ‘कोच आचरेकर ने उस समय कहा था कि तुम दूसरों के लिए तालियां बजाने के लिए नहीं बने हो. मैं चाहता हूं कि तुम मैदान पर खेलो और लोग तुम्हारे लिए तालियां बजाएं.'