यादों में '83: जब एक अनूठी कामयाबी ने बदल दी 75 करोड़ भारतीय फ़ैन्स की दुनिया

यादों में '83: जब एक अनूठी कामयाबी ने बदल दी 75 करोड़ भारतीय फ़ैन्स की दुनिया

नई दिल्‍ली:

फ़रवरी 1983। कुख्यात डकैत फ़ूलन देवी के आत्मसमर्पण से पूरे चंबल में सन्नाटा छा गया। प्रशासन ने अपनी बड़ी कामयाबी बताया। आम लोगों के लिए भी ये राहत की बड़ी ख़बर थी। 1983 में ही 'अर्ध सत्य' को फ़िल्मफ़ेयर ने बॉलीवुड की बेहतरीन फ़िल्म का ख़िताब दिया तो शायद ही किसी को शिकायत रही।

उस वक्त युवा हो रहे भारतीय गोविन्द निहलानी की इस फ़िल्म के सहारे खुद की कामयाबी के भी सपने बुनते रहे। लेकिन उसी साल इन सभी कामायबियों से बढ़कर कुछ खिलाड़ियों ने ऐसी बुलंदी छुई जिसने सभी भारतीयों की दिलों की धड़कनों के तार जोड़ दिये।

25 जून, 1983। कप्तान कपिल देव की टीम ने दुनिया की सबसे ताक़तवर मानी जाने वाली टीम को लॉर्ड्स पर 43 रनों से पटखनी दी। जंगल की आग की तरह इस ख़बर का जश्न भारत के छोटे से गांव से लेकर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे मेट्रो की सड़कों पर उतर आया। टेलीविज़न आ जाने के बाद की दुनिया में यह कारनामा हिन्दुस्तानी टीम 28 साल बाद 2011 में दोहरा पाई, और 1983 की जीत का अहसास आज की युवा पीढ़ी को तब मिल पाया, लेकिन पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बनने का नशा पुराने फ़ैन्स के ज़ेहन में अब भी बरक़रार है।
 

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कुछ तो बात है उस जीत में जिसका खुमार आज भी कायम है। टीम इंडिया ने लगातार दो बार चैंपियन रह चुकी कप्तान क्लाइव लॉयड की धुरंधर टीम के सामने सिर्फ़ 183 का स्कोर खड़ा किया था। गॉर्डन ग्रीनिज़, डेसमंड हेन्स, बेहद ख़तरनाक सर विवियन रिचर्ड्स, कप्तान क्लाइव लॉयड, लैरी गोम्स, फ़ाउ बैकस, जेफ़ डू जोन, मैल्कम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर और माइकल होल्डिंग की टीम को सन्न कर दिया।

इनिंग्स ब्रेक के दौरान कपिल टीम के जनरल बन गए। हरियाणा हरिकेन ने कप्तान की ज़ुबान में अपनी टीम से कहा, 'इतने रन जीत के लिए काफ़ी ना सही, लड़ने के लिए ज़रूर काफ़ी हैं।' कौन जानता था क्रिकेट के जनरल का जोश और भरोसा टीम की ऐतिहासिक जीत का मंत्र बन जाएगा।

उस जीत की याद आज भी पूर्व कप्तान सुनील मनोहर गावस्कर के रोंगटे खड़े कर देती है। वो कहते हैं, 'अगर आप 183 के स्कोर के सामने विंडीज़ की बैटिंग लाइन अप देखें तो लगता है कि ये सब उनके लिए एक पार्क में टहलने जैसा ही स्कोर था। कई बार यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि आप वर्ल्ड चैंपियन टीम का हिस्सा थे।'

लेकिन ऐसा नहीं है कि टीम इंडिया पर दुनिया में किसी जानकार को भरोसा नहीं था। शायद कपिल की स्विंग गेंदबाज़ी और भारतीय बैटिंग लाइन अप को देखकर उसी टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान किम ह्यूज़ ने कहा था कि भारतीय टीम भी वर्ल्ड कप जीत सकती है। उस सीज़न भारत ने वेस्ट इंडीज़ को वनडे में तीन बार शिकस्त दी थी। वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के पहले मैच में भी भारत ने विंडीज़ टीम के ख़िलाफ़ 262 रन बनाए और उन्हें 34 रनों से शिकस्त दे दी। मोहिन्दर अमरनाथ भी कहते हैं, 'हमें टूर्नामेंट में अंडरडॉग माना जाता था और इसका बड़ा फ़ायदा हुआ।'

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान बॉब विलिस टीम इंडिया को सराहते नहीं थकते। उन्होंने कहा, 'ये टॉप क्लास प्रदर्शन था। टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्हें हमेशा कम कर आंका गया। मुझे समझ नहीं आता कि लोग टीम इंडिया से हारने की ही उम्मीद क्यों करते हैं?।'

ग्रुप मैच के दौरान विंडीज़ कप्तान लॉयड ने मोहिन्दर अमरनाथ की तारीफ़ भी की थी। क्लाइव लॉयड ने कहा था कि भारतीय टीम बहुत अच्छा खेल रही है और भारतीय टीम में मोहिन्दर अमरनाथ हैं जो तेज़ गेंदबाज़ी को खेलने की क्षमता रखने वाले दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं। मोहिन्दर अमरनाथ फ़ाइनल के मैन ऑफ़ द मैच और टूर्नामेंट के मैन ऑफ़ द सीरीज़ के ख़िताब से नवाज़े गए।

विश्व विजेता टीम के ऑल राउंडर रॉजर बिन्नी का बयान अब भी ताज़ा है। बिन्नी ने कहा, 'हमने जो कर दिखाया अब हमारे पोते भी उस बारे में बातें करेंगे।' के श्रीकांत ने भी कुछ ऐसे ही मंसूबे पाल रखे थे। 'मेरे पास अपने पोतों को सुनाने के लिए कई कहानियां हैं। मसलन, मैं 1983 के फ़ाइनल में सर्वाधिक रन बनाने वाला खिलाड़ी था।' श्रीकांत ने फ़ाइनल में 57 गेंदों पर 38 रन बनाये थे जबकि रिचर्ड्स 28 गेंदों पर 33 रन बनाकर दूसरे नंबर पर रहे थे।

शायद इसलिए विपक्षी कप्तान ने टीम को सही आंका। क्लाइव लॉयड ने कहा, 'भारतीय क्रिकेट का युग आ गया है और ये वक्त अभी ठहरने वाला है।'

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान भारतीय कप्तान के कायल दिखे। उन्होंने टीम इंडिया के साथ कपिल की तारीफ़ों के पुल बांध दिए। डेविड गावर ने कहा, 'भारतीय टीम सीमित ओवरों के खेल में फ़ील्डिंग करना सीख गई है। लेकिन मुझे लगता है कि टीम वर्क के साथ कपिल की सूझबूझ भरी कप्तानी की वजह से टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप का ख़िताब जीत पाई।'

मैच के दौरान सर रिचर्ड्स के कमाल के कैच की तस्वीरें ना जाने कितनी बार टेलीविज़न पर दिखाई गई हैं। ये तस्वीरें आज भी फ़ैन्स की धमनियों में लहू की रफ़्तार तेज़ कर देती हैं। रिचर्ड्स की हैरानी आज भी गुदगुदाती हैं, 'पता नहीं कपिल कहां से आ गए। वो पीछे की ओर दौड़ रहे थे और पास आ रहे फ़ील्डर्स को दूर रहने को कह रहे थे। मुझे लग गया था कि मेरा वक्त ख़त्म हो चुका है।'

लेकिन उस ऐतिहासिक जीत के बावजूद कपिल ने अपनी विनम्रता नहीं छोड़ी। कपिल की उन बातों ने दुनिया का दिल जीत लिया, 'हमने 1983 का वर्ल्ड कप ज़रूर जीता लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वेस्ट इंडीज़ की टीम हमसे कहीं बेहतर थी। हमें भरोसा था कि हम उस दिन अच्छा ज़रूर खेलेंगे।'

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शायद इसलिए लंदन टाइम्स की सुर्ख़ियां बनी, 'कपिल की टीम ने दुनिया उलट दी।'