यह ख़बर 05 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

श्रीलंका में नहीं खेलकर दूर की सोच रहे हैं सचिन...

खास बातें

  • सचिन किसी ख़ास वजह से सीरीज़ से बाहर नहीं... वह आने वाले दिनों में भी भारतीय क्रिकेट की इमारत बुलंद देखना चाहते हैं, और टेस्ट क्रिकेट पर ज़ोर देना चाहते हैं...
नई दिल्ली:

बड़ा खिलाड़ी वही होता है, जो खेले तो मैदान पर राज करे, और जब मैदान से बाहर जाने की सोचे तो अपनी टीम का दबदबा न जाने दे... लगता है, सचिन तेंदुलकर अपने करियर के उसी मुकाम पर खड़े हैं...

करीब डेढ़ महीने के आराम के बाद नया सीज़न शुरू हो रहा है, लेकिन क्रिकेट को जुनून की तरह चाहने वाले सचिन क्रिकेट से दूर दिख रहे हैं, क्योंकि उन्होंने टीम से बाहर रहने का फ़ैसला किया है...

हमें लगता है, मास्टर ब्लास्टर दूर की सोच रहे हैं... श्रीलंका दौरे पर नहीं जाकर सचिन ने चयनकर्ताओं को टीम के युवा खिलाड़ियों और टीम कॉम्बिनेशन में प्रयोग करने का मौका दे दिया है... दरअसल सवा महीने के आराम के बावजूद सचिन वन-डे सीरीज़ से बाहर रहते हैं, तो इसे उनकी ओर से दिया गया इशारा मानना चाहिए, और इसका अर्थ हो सकता है कि वह आने वाले दिनों में भी भारतीय क्रिकेट की इमारत बुलंद देखना चाहते हैं, और ज़ाहिरा तौर पर टेस्ट क्रिकेट पर ज़ोर देना चाहते हैं...

सचिन के अंतरराष्ट्रीय करियर के पहले कप्तान और बीसीसीआई के मुख्य चयनकर्ता कृष्णमाचारी श्रीकांत कहते हैं, सचिन किसी ख़ास वजह से सीरीज़ से बाहर नहीं... वह अपने करियर को ठीक तरीके से बड़ा करना चाहते हैं, और टेस्ट क्रिकेट पर ज़ोर देना चाहते हैं... मुझे उम्मीद है कि वह इंग्लैण्ड और शायद ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए खुद को तैयार कर रहे होंगे... हमें इसे समझते हुए इसकी सराहना करनी चाहिए...

पिछले साल अप्रैल में क्रिकेट वर्ल्ड कप की जीत के बाद सचिन ने सिर्फ 10 वन-डे मैचों में हिस्सा लिया है, जिनमें सात मैच सीबी सीरीज़ के और तीन मैच एशिया कप के रहे... इसी दौरान सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना सौवां सैकड़ा भी ठोका, लेकिन इस दौरान सचिन ने 11 टेस्ट मैचों में हिस्सा लिया...

ज़ाहिरा तौर पर यह समझना मुश्किल नहीं है कि आने वाले दिनों में सचिन नीली जर्सी के बजाए सफेद जर्सी में ज़्यादा दिखेंगे, और 39 साल के सचिन के लिए क्रिकेट में आगे बने रहने का यही सही तरीका भी है...

सचिन के बाहर बैठने से टीम इंडिया के भीतर आने के लिए दस्तक दे रहे कई जूनियर खिलाड़ियों को आज़माने का मौका मिल जाएगा, जो सितंबर में श्रीलंका में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप और वर्ष 2015 में ऑस्ट्रलिया−न्यूज़ीलैण्ड में होने वाले वर्ल्ड कप में हिस्सा ले सकेंगे... सचिन के इस तरह बाहर बैठने से टीम में अजिंक्य रहाणे को आज़माने का मौका तो मिलेगा ही, मैनेजमेंट को टॉप ऑर्डर के खिलाड़ियों को आज़माने का विकल्प भी मिल जाएगा...

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भविष्य की टीम तैयार करने का यही सही तरीका भी है... इससे चैम्पियन टीम और नई टीम के बीच खाई नहीं बनेगी और टीम को संक्रमण, यानि transition के मुश्किल दौर में भी संभलने का वक्त मिल जाएगा... विराट कोहली इसका इशारा वर्ल्ड कप के फौरन बाद दे भी चुके हैं, जब उन्होंने कप जीतने के बाद सचिन को कंधे पर उठाकर कहा था, "सचिन ने 20 साल खेलप्रेमियों की उम्मीदों का बोझ उठाया है, इसलिए मैदान में इन्हें उठाकर थोड़ी देर घुमाना कोई बोझ नहीं..."