अपने गुरु रमाकांत आचरेकर के साथ सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली.
खास बातें
- अपने कोच रमाकांत अचरेकर के दिए योगदान को याद किया
- कहा-सर बोले थे, दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं
- ऐसा कुछ हासिल करो कि लोग तुम्हारे लिए ताली बजाएं
नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर( Sachin Tendulkar) के गुरु रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) नहीं रहे. 87 साल की अवस्था में मुंबई में उनका निधन हो गया. सचिन तेंदुलकर अगर क्रिकेट जगत में चमक सके तो इसके पीछे गुरु रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) की अथक मेहनत रही, जिन्होंने उन्हें एक क्रिकेटर के रूप में तराशने का काम किया. खुद सचिन तेंदुलकर अपनी सफलता में गुरु रमाकांत आचरेकर का ही योगदान मानते हैं. जब भी टीचर्स डे का मौका आता है तो तेंदुलकर अपने गुरु को जरूर याद करते हैं.
वर्ष 2017 में टीचर्स डे के मौके पर सचिन तेंदुलकर न ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट कर उस घटना को याद किया था, जिसने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. उन्होंने लिखा, 'Happy #TeachersDay! आपने जो सिखाया, वो हमेशा मेरे काम आया. आपके साथ उस वाकये को साझा कर रहा हूं, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी.'
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इस ट्वीट में सचिन कहते हैं- यह मेरे स्कूल के दिनों के दौरान एक आश्चर्यजनक अनुभव था. मैं अपने स्कूल (शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल) की जूनियर टीम से खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम (मुंबई) में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी. सचिन ने बताया कि उसी दिन कोच रमाकांत आचरेकर सर ने मेरे लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था. उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा, 'मैंने उस टीम के कप्तान से बात की है, तुम्हें चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करनी है और फील्डिंग की कोई जरूरत नहीं है.'
सचिन ने बताया कि मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम जा पहुंचा. मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चियर कर रहा था. मैं मैच का आनंद ले रहा था. खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा, मैंने उन्हें नमस्ते किया. अचानक सर ने मुझसे पूछा, 'आज तुमने कितने रन बनाए? '
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सचिन ने बताया कि मैंने जवाब में कहा-सर, मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं. यह सुनते ही, मेरे सर ने सबके सामने मुझे डांटा. उन्होंने (आचरेकर सर ने ) कहा था , 'दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है. तुम अपने क्रिकेट पर ध्यान दो. ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे तुम्हारे लिए ताली बजाएं.' मेरे लिए यह बहुत बड़ा सबक था, इसके बाद मैं कभी भी मैच नहीं छोड़ा.
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