यह ख़बर 09 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

श्रीनिवासन चुनें, बीसीसीआई अध्यक्ष बनना चाहते हैं, या चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक : सुप्रीम कोर्ट

एन श्रीनिवासन का फाइल चित्र

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के सुप्रीमो एन श्रीनिवासन के दिन अब बोर्ड में गिने-चुने रह गए हैं। यह संकेत सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगातार दूसरे दिन बीसीसीआई अध्यक्ष के खिलाफ की गई टिप्पणियों से मिले। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अब श्रीनिवासन को चुनना होगा कि वह बीसीसीआई अध्यक्ष बनना चाहते हैं या आईपीएल की फ्रेंचाइज़ी चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन एक साथ दो नावों पर सवारी नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट का कहना था, श्रीनिवासन के हितों के टकराव के मामले को इतनी आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता। मामले की जांच के दौरान श्रीनिवासन दूर रहने की बात कहकर भी किसी न किसी बहाने से बोर्ड की बैठकों में हिस्सा लेते रहे, लेकिन अब श्रीनिवासन को चुनना होगा कि वह बोर्ड अध्यक्ष बनना चाहते हैं या चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अब एक कमेटी का गठन करेगी, जिसमें श्रीनिवासन के हितों के टकराव की जांच होगी, और इस बीच श्रीनिवासन को लिखित में देना होगा कि वह किसी भी रूप में बीसीसीआई की वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल नहीं होंगे।

श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यप्पन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह किसी प्रकार की सजा का ऐलान नहीं करना चाहती, क्योंकि वह बीसीसीआई की मशीनरी को शॉर्ट सर्किट करने की इच्छुक नहीं है, इसलिए बीसीसीआई खुद तय करे कि क्या किया जा सकता है और कितनी सजा दी जानी चाहिए।

इससे पहले, श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को पांच सुझाव दिए थे, जिससे मामले की आगे छानबीन में फायदा होता, लेकिन कोर्ट ने उनमें से चार सुझावों को खारिज कर श्रीनिवासन के हितों के टकराव के मामले में कमेटी बनाने के सुझाव को मान लिया।

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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों से साफ है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुल मिलाकर गेंद अब श्रीनिवासन के पाले में फेंक दी है, और साफ कर दिया है कि कोर्ट को उनसे क्या उम्मीदें हैं। लेकिन उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने अभी तक सिर्फ सुझाव दिए हैं, और मामले का आखिरी फैसला आना बाकी है। सो, अब देखना यह है कि इन सुझावों का एन श्रीनिवासन एंड कंपनी पर क्या असर पड़ता है, क्योंकि मामला सुनवाई के लिए बुधवार को फिर कोर्ट के सामने होगा।