मैच से पहले सोता रहता था सहवाग, जबरदस्ती जगाना पड़ता था: सौरव गांगुली

मैदान पर वीरेंद्र सहवाग को सुनील गावस्कर के बाद टेस्ट में भारत का सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज बताने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि दिल्ली का यह तूफानी बल्लेबाज मैदान के बाहर अपने अस्तित्व से अनजान था.

मैच से पहले सोता रहता था सहवाग, जबरदस्ती जगाना पड़ता था: सौरव गांगुली

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सौरव गांगुली व वीरेंद्र सहवाग (फाइल फोटो)

खास बातें

  • गांगुली ने 49 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की, जिनमें से 21 जीते
  • गांगुली ने कहा, 'चयन प्रक्रिया अब पहले से ज्याता पारदर्शी हो गई है'
  • गांगुली की कप्तानी में भारत 2003 में विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था
कोलकाता:

मैदान पर वीरेंद्र सहवाग को सुनील गावस्कर के बाद टेस्ट में भारत का सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज बताने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि दिल्ली का यह तूफानी बल्लेबाज मैदान के बाहर अपने अस्तित्व से अनजान था. गांगुली ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट-2017 में शुक्रवार को कहा कि मैं बड़े आराम से काम करने वाला शख्स हूं, लेकिन जब मैं 2000 में कप्तान बना, तब मुझे लगा की इस टीम को चीजें दूसरी तरह से करनी होगी. भारतीय होने के नाते हम आराम पसंद इंसान हैं. पूर्व कप्तान ने कहा कि मेरी टीम में सहवाग था, जो मेरी नजरों में सुनील गावस्कर के बाद भारत के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट सलामी बल्लेबाज हैं, लेकिन मैदान के बाहर एक इंसान के तौर पर वह जानते ही नहीं थे कि उनका भी कोई अस्तित्व है. वह सोते रहते थे और आपको टेस्ट मैच से पहले उन्हें बार-बार जबरदस्ती करते हुए जगाना पड़ता था.

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गांगुली जब भारतीय टीम के कप्तान बने थे, तब भारत मैच फिक्सिंग विवाद से जूझ रहा था. गांगुली की कप्तानी की सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने एक ऐसी टीम तैयार की जो एक टीम के तौर पर काफी मजबूत थी. उनकी कप्तानी में भारत ने विदेशों में पहले से ज्यादा मैच और सीरीज जीतीं. गांगुली ने 49 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की, जिनमें से 21 में जीत 13 में हार मिली. वह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान भी थे. उनके इस रिकार्ड को बाद में महेंद्र सिंह धौनी ने तोड़ा. गांगुली की कप्तानी में ही भारत ने 2003 में आईसीसी विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन आस्ट्रेलिया से हार गई थी.

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गांगुली ने कहा कि जब भारत 2001 में आस्ट्रेलिया में खेल रहा था तब मैंने देखा की यह अलग टीम है और लड़ने के लिए तैयार है. इसलिए एक कप्तान के तौर पर मुझे मैदान पर वो माहौल बनाना था जिसकी शुरुआत मुझसे होनी थी. गांगुली ने कहा कि टीम चयन पहले की अपेक्षा अब ज्यादा पारदर्शी हो गया है. उन्होंने कहा, "चयन प्रक्रिया अब पहले से ज्याता पारदर्शी हो गई है. आप जब अब की भारतीय टीम को देखते हैं और विराट कोहली जैसे ईमानदार तथा जुनूनी कप्तान को देखते हैं तो आप को पता चलता है कि यह कितना पारदर्शी है.

गांगुली ने कहा कि वह खिलाड़ियों को ध्यान से देखते हैं. हर कोई गलती करता है जो मान्य भी होती है. आप परिणाम देख सकते हैं कि भारत किस तरह से आगे बढ़ रहा है. मैंने जब 1996 में क्रिकेट शुरू की थी तब क्रिकेट अलग थी. यह खेल दिन ब दिन बेहतर होता जा रहा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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