यह ख़बर 27 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

स्पिनर स्टीवन स्मिथ तो कमाल का बल्लेबाज़ निकला

नई दिल्ली:

मेलबर्न टेस्ट के पहले दिन भारतीय गेंदबाजों ने मुकाबला बराबरी का बनाए रखा, हालांकि दिन का खेल खत्म होने तक यह तय हो गया था कि दूसरे दिन भारतीय गेंदबाज़ों की मुश्किल बढ़ने वाली है। इसकी वजह थी कि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ का विकेट पर टिके होना। वह 72 रन बनाकर खेल रहे थे।
 
जैसा डर था, मेलबर्न टेस्ट के दूसरे दिन वैसा ही हुआ। स्टीवन स्मिथ ने लगातार तीसरे टेस्ट में तीसरा शतक ठोक दिया। वह शतक बनाकर ही थमे नहीं, बल्कि पहले अपने 150 रन भी पूरे किए, हालांकि स्मिथ अपने करियर का पहला दोहरा शतक भले पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने कप्तान के तौर पर अपनी टीम को उस मुकाम तक पहुंचा दिया है, जहां से टीम केवल जीत के बारे में सोच सकती है।

स्मिथ ने शायद नहीं सोचा हो लेकिन अगर वे दोहरा शतक पूरा कर लेते तो सबसे कम उम्र में दोहरा शतक बनाने वाले कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम होता।

डॉन ब्रैडमैन ने 1937 में 28 साल और 131 दिन की उम्र में यह रिकॉर्ड बनाया था। 25 साल और 208 दिन के स्मिथ के पास इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए अभी काफी वक्त है।
 
बहरहाल, मेलबर्न टेस्ट की उनकी पारी केवल कप्तानी पारी भर नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों को भी रन बनाने के लिए प्रेरित किया। पहले उन्होंने शान मार्श के साथ अर्धशतकीय साझेदारी निभाई, फिर ब्रैड हैडिन के साथ मिलकर 110 रन जोड़े, मिचेल जॉनसन के साथ 50 रन, उसके बाद आठवें विकेट के लिए रायन हैरिस के साथ मिलकर 106 रन, नौवें विकेट के लिए उन्होंने नेथन लेयॉन के साथ मिलकर 48 रन जोड़े।

अब जरा इस टेस्ट सीरीज में उनकी पारियों पर एक नजर डालिए, एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में नॉटआउट 162 रन, दूसरी पारी में आउट हुए बिना 52 रन। ब्रिसबेन टेस्ट की पहली पारी में बेहतरीन 133 रन तो दूसरी पारी में रन आउट होने से पहले 28 रन, इसके बाद मेलबर्न में 192 रन।
 
इस दौरान यह भी ध्यान देने की बात है कि उन्होंने हर उस परिस्थिति में टीम के लिए शतक बनाया जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी। बीते 14 टेस्ट मैचों में स्टीवन स्मिथ ने सातवीं बार शतक बनाया है। उनके शतक ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए किस कदर साबित होते हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने मेलबर्न से पहले जब छह शतक बनाए हैं, पांच बार टीम टेस्ट जीतने में कामयाब रही, जबकि एक मैच ड्रॉ रहा है. इसमें इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज हासिल करने के लिए पर्थ और सिडनी में जोरदार शतक शामिल हैं। टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को नंबर एक टीम बनाने के लिए सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक भी इस सूची में है।

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कप्तान बनने के बाद तो उन्होंने अपने पहले दोनों टेस्ट में शतक बना दिया है। विजय हजारे, जैकी मैकगिल्यू, सुनील गावस्कर और एलिस्टर कुक के बाद इस उपलब्धि तक पहुंचने वाले स्मिथ महज पांचवें कप्तान हैं, जिन्होंने पहले दोनों टेस्ट में शतक पूरा किया हो।
अब एक ऐसे क्रिकेटर के बारे में सोचिए, जिसे जब पहली बार ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में 2010 में चुना गया था, तो उन्हें स्पिन गेंदबाज़ नेथन हारित्ज़ की जगह बुलाया गया था और ये माना जा रहा था कि ये स्पिनर एक दिन शेन वॉर्न की जगह लेगा। ऑस्ट्रेलिया चयनकर्ताओं की सोच सही नहीं थी, वह जिसमें वॉर्न को तलाश रहे थे, वह तो एक जोरदार बल्लेबाज, बेहतरीन फील्डर और क्षमतावान लीडर साबित हुआ, जो अब निस्संदेह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का बड़ा सितारा बन चुका है।