खास बातें
- साल 2011 वर्ल्ड कप लेकर रैना के कई खुलासे
- गौतम गंभीर की सराहना की रैना ने
- बताया, क्यों धोनी युवराज से पहले उतरे?
नई दिल्ली: दो दिन पहले ही 2 अप्रैल को टीम इंडिया के साल 2011 वर्ल्ड कप जीतने का नौवां साल था. और इस खिताबी जीत को उस टीम के खिलाड़ी अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं. टीम के सदस्य रहे सुरेश रैना (Suresh Raina) ने कहा है कि हम इस खिताबी जीत को हर साल होली और दिवाली की तरह ही मनाते हैं. सुरेश रैना (Suresh Raina) ने क्वार्टरफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 34 और पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भी बिना आउट हुए 36 रन की पारी खेली थी.
सुरेश रैना ने साल 2011 में भारत की खिताबी जीत का श्रेय तेज गेंदबाज जहीर खान को भी दिया. रैना ने कहा कि हम जो भी फैसले ले रहे थे, वह हमारे पक्ष में जा रहे थे. जहीर भाई बॉलिंग अटैक का नेतृत्व कर रहे थे. उस समय हर कोई
हमारी बैटिंग के बारे में बात कर रहा था, लेकिन मैं कहूंगा कि जहीर भाई 2011 वर्ल्ड कप में हमारी गेंदबाजी विभाग के सचिन तेंदुलकर थे. रैना ने कहा कि टीम को जब भी जरूरत पड़ी, तो जहीर भाई ने तभी टीम को विकेट लेकर दिए. इसके
बाद सबसे बड़ा योगदान युवराज सिंह का रहा, जिन्होंने विकेट चटकाए और मैच को फिनिश किया.
बता दें कि साल 2011 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज थे. जहीर और आफरीदी दोनों ने संयुक्त रूप से 21-21 विकेट चटकाए थे. जहीर ने 9 मैचों में 18.76 के औसत से ये 21 विकेट लिए थे. रैना ने श्रीलंका के खिलाफ वानखेड़े में खेले गए फाइनल के बारे में भी बात की. रैना ने कहा कि हालांकि श्रीलंका ने फाइनल में चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था, लेकिन हमारे ड्रेसिंग रूम में सभी हर खिलाड़ी शांत था.
रैना ने कहा कि श्रीलंका पारी के कोई खिलाड़ी शॉवर ले रहा था, तो कोई आइस बाथ ले रहा था, लेकिन इसके बावजूद सभी खिलाड़ियों के जहन में वर्ल्ड कप ट्रॉफी ही चल रही थी. कोई भी एक-दूसरे से बात नहीं कर रहा था. रैना ने कहा कि सभी का एक ही टारगेट था. और वह था वर्ल्ड कप ट्रॉफी. जब सचिन पाजी आउट हुए, तो ड्रेसिंग रूप में एकदम सन्नाटा पसर गया था, लेकिन हम शांत बने रहे. कोई पेनिक खिलाड़ियों ने नहीं लिया. आपको यह देखना चाहिए कि सहवाग के आउट होने के बाद जब गंभीर ने मैदान में प्रवेश किया, तो वह कितने विश्वस्त थे.
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रैना ने कहा कि आप गंभीर की बॉडी लैंग्वेज देखिए. मैं सोचता हूं कि गंभीर ने हमारे लिए नाबाद 91 रन की पारी से विश्व कप जीता. धोनी पूरे टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाजी करने वाले युवराज सिंह से पहले बैटिंग करने उतरे. यह एक बड़ा निर्णय था, लेकिन एमएस ने कर्स्टन से कहा कि वह मुरलीधरन को बेहतर खेल सकते हैं, इसलिए वह युवी से पहले खेलने गए.