सांथा मूर्ति जैसे गेंदबाज युवाओं को प्रेरणा देते हैं
नई दिल्ली: अक्सर कहा जाता है कि टी-20 युवा खिलाड़ियों का खेल है, लेकिन इस वाक्य को कई बार अनेकों खिलाड़ियों ने गलत साबित किया है. उदाहरण के दौर पर ब्रैड हॉग और प्रवीण तांबे. और अब सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (Syed Mushtaq Ali Trophy) में एक बार फिर से एक और खिलाड़ी ने इस वाक्य को गलत ठहराया. और खास बात यह रही कि अपने 42वें साल में चल रहा यह खिलाड़ी स्पिनर रही बल्कि तेज गेंदबाज रहा. और यह रहे अपने करियर में सिर्फ प्रथणश्रेणी मैच खेलने वाले पुडुचेरी के सांथा मूर्ति (Santha Moorthy), जिन्होंने सितारों से सुसज्जित मुंबई के बल्लेबाजों की हवा निकाल दी. क्वार्टरफाइनल की होड़ से पहले से ही बाहर हो चुकी मुंबई सिर्फ 94 रन पर ही ढेर हो गयी. और इसकी सबसे बड़ी वजह बने फिलहाल 41 साल और 129 साल के सांथा मूर्ति (Santha Moorthy), जिन्होंने मुंबई की बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया.
सांथा मूर्ति ने शुरुआत से ही मुंबई की बैटिंग की हवा निकलाते हुए शीर्ष चार बल्लेबाजों के विकेट लिए, जिसमें प्रतिभाशाली यशस्वी जयसवाल और कप्तान सूर्यकुमार यादव जैसे दिग्गज बल्लेबाज के विकेट शामिल रहे. यशस्वी ने 15 और आईपीएल में रनों की बरसात करने वाले सूर्यकुमार यादव ने सिर्फ 8 ही रन बनाए. यह सांथा मूर्ति का कहर ही था कि मुंबई अपने से कहीं कमजोर टीम पुडुचेरी के खिलाफ 29 रन पर 4 विकेट गंवाकर जूझ रहा था.
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बता दें कि सांथा मूर्ति ने मुंबई के खिलाफ मैच से पहले सिर्फ एक प्रथम श्रेणी, एक लिस्ट ए और एक ही टी20 मैच खेला था. साल 2019 में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ फर्स्ट क्लास मैच में सांथा ने सात विकेट चटकाए थे, लेकिन आज मुंबई के पांच और बड़े बल्लेबाजों के विकेट चटकार सांथा ने बता दिया कि उम्र कुछ नहीं होती, जो होता है, वह फिटनेस और जज्बा ही होता है, जो सामने वाले पर भारी पड़ता है. सांथा मूर्ति ने कोटे के चार ओवरों में सिर्फ 20 रन देकर पांच विकेट लिए. एक ऐसा प्रदर्शन जो युवा सीमरों को प्रेरित और शर्मसार दोनों ही करने के लिए काफी है.
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